केकड़ी। दिगम्बर जैन आचार्य इन्द्रनन्दी महाराज ने कहा कि योग जीवन है, भोग मरण है। योग सिद्धत्व का मार्ग प्रशस्त करनेवाला है और भोग नरक की ओर ले जाने वाला है। आत्मा के दु:ख का मूल स्त्रोत परिग्रह है। किंतु परिग्रह छोडने को कोई तैयार नहीं है। वे सकल दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान में आयोजित आदिनाथ चर्तुविंशति जिन बिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के दूसरे दिन प्रवचन कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि भगवान का दर्शन करने के लिये भौतिक आंखें काम नहीं करती है। उनकी दिव्य ध्वनि सुनने व समझने के लिये ये कान पर्याप्त नहीं है। ज्ञान चक्षु के माध्यम से ही हम भगवान की दिव्य छवि का दर्शन कर सकते हैं। इस दौरान मुनि निपूर्णनन्दी महाराज, मुनि क्षमानन्दी महाराज व मुनि निर्भयनन्दी महाराज एवं आर्यिका कमलश्री माताजी, आर्यिका मुक्तिश्री माताजी समेत समस्त मुनि व आर्यिका संघ मौजूद रहा।
सोमवार को सुबह ब्रह्म मुहुर्त में तीर्थंकर भगवान का जन्म कल्याणक महोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर शोभायात्रा निकाली गई जो राजपुरा रोड स्थित आदिनाथ वाटिका से रवाना होकर कस्बे के विभिन्न मार्गों से होते हुए वापस आयोजन स्थल पहुंच कर सम्पन्न हुई। शोभायात्रा में गजराज पर सवार भगवान के माता-पिता, सौधर्म इन्द्र-इन्द्राणी व कुबेर, शाही बग्घियों में सवार इन्द्र-इन्द्राणी, स्वर्ण मंडित रथ, जैन प्रतीकों की झांकियां, बच्चों द्वारा किया गया घोष वादन, जैन पताका लिए बच्चे एवं रंग-बिरंगी पताकाएं धारण किए महिलाएं आकर्षण का केन्द्र रही।
जुलूस में आचार्य इन्द्रनन्दी महाराज एवं मुनि व आर्यिका संघ तथा केकड़ी व आसपास के गांवों-कस्बों से आए श्रावक-श्राविकाएं शामिल हुए। समाज के धनेश जैन ने बताया कि प्रवचन के बाद प्रतिष्ठाचार्य पंडित सुधीर मार्तण्ड केसरियाजी एवं पंडित मनोज कुमार शास्त्री बगरोही के निर्देशन में जन्मकल्याणक की विविध धार्मिक क्रियाएं हुई। सौधर्म इन्द्र द्वारा तीर्थंकर बालक का सहस्त्र कलशों से जलाभिषेक किया गया। धनपति कुबेर ने धनवर्षा की। मंगलवार को दीक्षा कल्याणक महोत्सव का आयोजन होगा।