केकड़ी. नीरज जैन ‘लोढ़ा’ (आदित्य न्यूज नेटवर्क) कैंसर का सर्वोतम उपचार बचाव है। यदि मनुष्य अपनी जीवन-शैली में कुछ परिवर्तन करने के लिए तैयार हो जाए तो 60 प्रतिशत मामलो को पूर्णतः रोका जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार कैंसर अब एक सामान्य रोग होता जा रहा है। हर दस भारतीयों में से एक को कैंसर होने की संभावना है। कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है। परन्तु यदि रोग का निदान व उपचार प्रारम्भिक अवस्थाओं में किया जाए तो इस रोग का पूर्ण उपचार संभव है। केकड़ी के राजकीय जिला चिकित्सालय में इन दिनों कैंसर रोग के बचाव के प्रति लोगों में जागरुकता बढ़ाने के उदे्श्य से विशेष शिविर का आयोजन किया जा रहा है। गत 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस के दिन शुरु हुआ यह शिविर आगामी 10 फरवरी तक चलेगा।
अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. गणपतराज पुरी ने बताया कि कैंसर के संभावित खतरों से बचाव के लिए अर्ली स्क्रीनिंग करवानी चाहिए। कैंसर के जोखिम कारकों के प्रति जागरुक करने के उदे्श्य से विशेष शिविर आयोजित किया जा रहा है। शिविर में कॉमन कैंसर की स्क्रीनिंग के साथ ही लोगों को जागरुक करने का कार्य किया जा रहा है।
क्या आप जानते है…?
- विश्व में कुल 2 करोड़ लोग कैंसर ग्रस्त हैं। इनमें हर वर्ष 90 लाख व्यक्ति और जुड जाते हैं।
- विश्व में हर वर्ष अनुमानित 40 लाख व्यक्तियों की कैंसर के कारण मृत्यु हो जाती है।
- भारत में एक लाख की जनसंख्या पर 70 से 80 व्यक्ति कैंसर से पीड़ित हो जाते हैं। इस तरह हमारे देश में लगभग 16 लाख से अधिक व्यक्ति हर वर्ष कैंसर पीड़ित होते हैं।
- भारत में कैंसर से मरने वाले व्यक्तियों में 34 प्रतिशत लोग धूम्रपान/ तम्बाकू के सेवन करने वाले होते हैं।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विकासशील देशों में कैंसर के कारण होने वाली मृत्यु की संख्या में बढ़ोतरी होने की संम्भावना है।
राजकीय जिला चिकित्सालय में कार्यरत कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. पवन कुमार जांगिड़ ने बताया कि सम्पूर्ण विश्व में असामयिक मृत्यु के मुख्य कारणों में से एक कैंसर रोग है। भारत में लगभग 38 लाख कैंसर से पीड़ित मरीज है। जिनमे प्रतिवर्ष 16 लाख नए मरीज जुड़ रहे है। लगभग 8 लाख मरीजों की मृत्यु कैंसर रोग के कारण हो रही है। आंकड़ों के अनुसार केवल 33 प्रतिशत कैंसर मरीजों की पहचान रोग के प्रारम्भिक स्तर पर की जा रही है। जबकि 66 प्रतिशत कैंसर मरीजों की पहचान रोग के द्वितीय तथा तृतीय स्तर पर हो पाती है।
कैंसर के प्रारम्भिक लक्षण
- शरीर में किसी भी अंग में घाव या नासूर, जो न भरे।
- लम्बे समय से शरीर के किसी भी अंग में दर्दरहित गांठ या सूजन।
- स्तनों में गांठ होना या रिसाव होना। मल, मूत्र, उल्टी और थूक में खून आना।
- आवाज में बदलाव, निगलने में दिक्कत, मल-मूत्र की सामान्य आदत में परिवर्तन, लम्बे समय तक लगातार खांसी।
- पहले से बनी गांठ, मस्सों व तिल का अचानक तेजी से बढना और रंग में परिवर्तन या पुरानी गांठ के आस-पास नयी गांठो का उभरना।
- बिना कारण वजन घटना, कमजोरी आना या खून की कमी।
- औरतों में- स्तन में गांठ, योनी से अस्वाभाविक खून बहना, दो माहवारियों के बीच व यौन सम्बन्धों के तुरन्त बाद तथा 40-45 वर्ष की उर्म में महावारी बन्द हो जाने के बाद खून बहना।
कैंसर होने के संभावित कारण
- धूम्रपान-सिगरेट या बीड़ी के सेवन से मुंह, गले, फेंफडे, पेट और मूत्राशय का कैंसर होता है।
- तम्बाकू, पान, सुपारी, पान मसालों एवं गुटकों के सेवन से मुंह, जीभ खाने की नली, पेट, गले, गुर्दे और अग्नाशय (पेनक्रियाज) का कैंसर होता है।
- शराब के सेवन से श्वांस नली, भोजन नली और तालु में कैंसर होता है।
- धीमी आंच व धूएं मे पका भोजन (स्मोक्ड) और अधिक नमक लगा कर संरक्षित भोजन, तले हुए भोजन और कम प्राकृतिक रेशों वाला भोजन (रिफाइन्ड) सेवन करने से बडी आंतो का कैंसर होता है।
- कुछ रसायन और दवाईयों से पेट, यकृत (लीवर) मूत्राशय का कैंसर होता है।
- लगातार और बार-बार घाव पैदा करने वाली परिस्थितियों से त्वचा, जीभ, होंठ, गुर्दे, पित्ताशय, मूत्राशय का कैंसर होता है।
- कम उम्र में यौन सम्बन्ध और अनेक पुरुषों से यौन सम्बन्ध द्वारा बच्चेदानी के मुंह का कैंसर होता है।
कुछ आम तौर पर पाये जाने वाले कैंसर
- पुरूषः- मूंह, गला, फेंफडे, भोजन नली, पेट और पुरूष ग्रन्थी (प्रोस्टेट)
- महिलाः- बच्चेदानी का मुंह, स्तन, मुंह, गला, ओवरी
कैंसर से बचाव के उपाय
- धूम्रपान, तम्बाकु, सुपारी, पान मसाला, गुटका, शराब आदि का सेवन न करें।
- विटामिन युक्त और रेशे वाला ( हरी सब्जी, फल, अनाज, दालें) पौष्टिक भोजन खाएं।
- कीटनाशक एवं खाद्य संरक्षण रसायनों से युक्त भोजन धोकर खाएं।
- अधिक तले, भुने, बार-बार गर्म किए तेल में बने और अधिक नमक में सरंक्षित भोजन न खाएं।
- अपना वजन सामान्य रखें।
- नियमित व्यायाम करें नियमित जीवन बिताएं।
- साफ-सुथरे, प्रदूषण रहित वातावरण की रचना करने में योगदान दें।
प्रारम्भिक अवस्था में कैंसर के निदान के लिए निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान दें
- मुंह में सफेद दाग या बार-बार होने वाला घाव अथवा शरीर में किसी भी अंग या हिस्से में गांठ होने पर तुरन्त जांच करवाएं।
- महिलाएं माहवारी के बाद हर महीने स्तनों की जांच स्वयं करें तथा जांच स्वयं करने का तरीका चिकित्सक से सीखें।
- दो माहवारी के बीच या माहवारी बंद होने के बाद रक्त स्त्राव होना खतरे की निशानी है। पैप टैस्ट करवाए।
- शरीर में या स्वास्थ्य में किसी भी असामान्य परिवर्तन को अधिक समय तक न पनपने दें।
- नियमित रूप से जांच कराते रहें और अपने चिकित्सक से तुरन्त सम्पर्क करें।
याद रहे- प्रारम्भिक अवस्था में निदान होने पर ही सम्पूर्ण उपचार सम्भव है।
कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. पवन कुमार जांगिड़ से हुई चर्चा के आधार पर तैयार आर्टिकल।