Sunday, February 16, 2025
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पत्रकार समाज के सजग प्रहरी, सम्मान बरकरार रखने के लिए आवश्यक कदम उठाना जरुरी

केकड़ी (आदित्य न्यूज नेटवर्क) राज्य सरकार द्वारा पत्रकारों की आवास समस्या का समाधान करने के लिए गठित राज्य स्तरीय समिति की पहली बैठक शनिवार को आयोजित की गई। बैठक में अजमेर समेत दूरस्थ जिलों के मुद्दों पर भी चर्चा हुई। समिति की पहली वर्चुअल बैठक में वरिष्ठ पत्रकार और अजयमेरु प्रेस क्लब के महासचिव राजेन्द्र गुंजल ने अजमेर शहर के साथ ही ब्यावर, किशनगढ़, नसीराबाद, केकड़ी और पुष्कर की पत्रकार कॉलोनियों का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि अजमेर में पत्रकारों को डी.डी.पुरम में पत्रकारों को भूखंड आवंटित किए गए हैं। यह शहर से करीब 22 किलोमीटर दूर स्थित है। जबकि प्रमुख अखबारों के दफ्तर शहर में है। डी.डी.पुरम अभी विकसित भी नहीं हुआ है। उन्होंने मांग की कि पत्रकारों को शहर के नजदीक भूखंड आवंटित किए जाएं। इसी प्रकार अजमेर जिले के विभिन्न शहरों के पत्रकारों की आवाज भी उठाई। ब्यावर स्थित पत्रकार कॉलोनी के मुद्दे को उन्होंने पुरजोर तरीके से उठा कर शीध्र समाधान की मांग की। गुंजल ने केकड़ी व नसीराबाद में पत्रकार कॉलोनी स्थापित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पिछले कई सालों से यहां पत्रकारों को भूखण्ड देने की चर्चा चल रही है। लेकिन आज दिन तक यह योजना धरातल पर नहीं आ सकी। इस कारण केकड़ी जैसे बड़े उपखण्ड के पत्रकार भी अपने आप को अपेक्षित महसूस कर रहे है।

उपखण्ड स्तर पर स्थापित हो पत्रकार कॉलोनी बैठक में बोलते हुए गुंजल ने कहा कि 31 जुलाई, 2002 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने एक दर्जन मंत्रियों के साथ अजमेर आकर पत्रकारों को भूखंडों के पट्टे वितरित किए थे। उस समय गहलोत ने घोषणा की थी कि प्रत्येक जिला मुख्यालय पर पत्रकार कॉलोनी स्थापित की जाएगी। गुंजल ने बैठक में इसी घोषणा को याद दिलाते हुए कहा कि 20 साल गुजर गए। इसके बावजूद प्रतापगढ़, जैसलमेर आदि दूरस्थ जिला मुख्यालयों पर आज तक पत्रकारों के लिए कॉलोनी की स्थापना नहीं हो पाई है। उन्होंने मांग की कि निकट भविष्य में सभी जिला मुख्यालयों पर पत्रकार कॉलोनी की स्थापना हो जानी चाहिए। गुंजल ने कहा कि पत्रकार कॉलोनी के लिए नगरीय शासन, निदेशालय स्वायत्त शासन और सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की एक संयुक्त समन्वय समिति बनाई जानी चाहिए। इस समिति को पत्रकार कॉलोनियों की स्थापना में आ रही व्यावहारिक समस्याओं का समाधान करने की शक्ति प्रदान की जानी चाहिए। गुंजल ने नगरीय विभाग के शासन सचिव का ध्यान एक गम्भीर समस्या की ओर आकर्षित करते हुए कहा कि जिला कलक्टर पत्रकार कॉलोनी के लिए भूमि आवंटित करते हैं। नगर परिषद और पालिका कुछ भूखंड पत्रकारों को आवंटित कर शेष भूमि को नीलाम करके अपना खजाना भर लेती है। इससे भविष्य में नए पत्रकारों के लिए भूखंड ही उपलब्ध नहीं हो पाएंगे। गुंजल ने इस प्रक्रिया को तत्काल रोकने की मांग की। समिति की अगली बैठक 15 दिन बाद जयपुर में होगी। इसमें पत्रकार कॉलोनी के लिए आवेदन करने वाले पत्रकारों की पात्रता निश्चित की जाएगी।

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