केकड़ी (नीरज जैन ‘लोढ़ा’) केकड़ी की कृषि उपज मण्डी प्रदेश ही नहीं देश की प्रमुख मंडियों में शुमार है। केकड़ी की मंडी को विशिष्ट श्रेणी का दर्जा मिला हुआ है। यहां केकड़ी क्षेत्र के करीब 200 गांवों के किसान अपनी पैदावार बेचने के लिए यहां आते है। इस मण्डी से सरकार को प्रतिवर्ष लगभग 5 से 6 करोड़ रुपए का मण्डी शुल्क प्राप्त होता है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों की तत्परता के कारण मण्डी शुल्क से क्षेत्र में अनेक विकास कार्य करवाए गए है।
42 साल पहले हुई स्थापना–
जयपुर रोड पर 69 बीघा भूमि क्षेत्र में फैली मंडी की स्थापना 17 मई 1979 को हुई। यहां शुरूआत में लगभग 50 दुकानों का निर्माण हुआ, बाद में 50 दुकानें और बनाई गई। इस समय यहां लगभग 110 व्यापारी कार्य कर रहे है। यहां गेहूं, चना, सरसों, मूंग, उड़द, ऊन, जीरा, जौ, ज्वार, बाजरा, मक्का, कपास, तिल, मूंगफली, तारामीरा, अलसी, सौंफ, धनिया, मिर्च प्रमुख रुप से बिकने के लिए आता है। अधिकांश मंडियों में खुली नीलामी प्रचलन में नहीं है, लेकिन केकड़ी की मंडी में 10 किलो माल भी खुली नीलामी के जरिए ही बेचा जाता है। यहां किसानों के लिए किसान कलेवा योजना, कृषक विश्राम गृह, कैन्टीन सहित हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध है। इस मंडी में लगभग 500 मजदूर व पल्लेदार कार्य करते है।
सुविधाओं में शीर्ष पर है केकड़ी की मण्डी–
सुविधाओं में मामले में अन्य जगह की तुलना में केकड़ी मण्डी में हर प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध है। मण्डी में व्यापारिक भवन, किसान विश्राम गृह, सार्वजनिक सुलभ काम्पलेक्स सहित माल रखने के लिए बड़े–बड़े गोदाम बने हुए है। किसान के माल की नीलामी के लिए मंडी परिसर में टिनशेड युक्त तीन नीलामी प्लेटफॉर्म बने हुए है। मण्डी के अधिकांश भू–भाग पर सीसी अथवा डामर सडक़ बनी हुई है। मण्डी परिसर में 5 सार्वजनिक प्याऊ संचालित होती है।
कितना मिला मण्डी शुल्क–
वर्ष मण्डी शुल्क (लाखों में)
2012-13 436.91
2013-14 477.93
2014-15 588.06
2015-16 591.61
2016-17 608.27
2017-18 658.90
2018-19 384.68
2019-20 419.75
2020-21 539.00
2021-22 (नवम्बर 2021 तक) 300.76
केकड़ी की मण्डी विशिष्ट श्रेणी की मण्डी है। यहां किसानों के लिए सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध है। मण्डी के दोनों मुख्यद्वारों को भी आकर्षक बनाया जाना चाहिए। कोरोना संक्रमण के कारण मण्डी का व्यापार प्रभावित हुआ, लेकिन मण्डी की विशिष्टता बरकरार रही। अभी हालात ठीक है। माल की आवक भी अच्छी हो रही है। आशा है इस बार कारोबार की गति सर्वाधिक ऊंचाईयों को प्राप्त करेगी।
शैलेन्द्र बोरदिया, प्रवक्ता, व्यापारिक एसोसिएशन केकड़ी
कृषि उपज मण्डी समिति किसान, मजदूर, हमाल व व्यापारियों के हितों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर है। सुरक्षा की दृष्टि से पूरे मंडी परिसर में कैमरे लगवाए जा चुके है। इसी के साथ कई अन्य प्रस्तावों पर भी कार्य किया जा रहा है। कोरोना के कारण कार्य की गति कमजोर हो गई थी। लेकिन मण्डी में माल की आवक ठीक होने से इस वर्ष निश्चित रूप से मण्डी की आय में बढ़ोतरी होगी।
उमेश कुमार शर्मा, सचिव कृषि उपज मंडी समिति केकड़ी