Sunday, March 16, 2025
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महाशिवरात्रि स्पेशल: आस्था और विश्वास का दूसरा नाम है काला भाटा महादेव मंदिर

मेवदाकला. उमाशंकर वैष्णव (आदित्य न्यूज नेटवर्क) आस्था और विश्वास के जितने उदाहरण भारत में मिलते हैं। दुनिया के किसी और कोने में शायद ही मिलते हैं। ऐसी ही अनोखी आस्था का केंद्र अजमेर जिले के केकड़ी कस्बे के निकट बघेरा रोड प्राचीन सिद्ध पीठ काला भाटा महादेव मंदिर। काला भाटा महादेव मंदिर का विशेष महत्व यह भी है कि आसपास के इलाके में अब ग्रेनाइट के नाम से मार्बल की खदानें चल रही है। इन खदानों के चलने से आसपास के लोग एवं खान मालिकों का कालाभाटा महादेव मंदिर से भी ताल्लुक बढ़ गया है। इसी आस्था को लेकर महाशिवरात्रि पर्व पर महा अभिषेक एवं नमक चमक की पूजा सहित कई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। इस मंदिर की उत्पत्ति कब और कैसे हुई यह भविष्य के गर्भ में है। लेकिन पुराने काल से ही यहां के लोग आस्था के नाम से जुड़े हुए हैं। यह मंदिर केकड़ी एवं मेवदाकला के बीच जंगल में स्थित एक पहाड़ी नुमा चट्टान पर स्थित है। पहाड़ी पर काला भाटा होने के चलते इस महादेव मंदिर का नाम भी काला भाटा महादेव मंदिर पड़ा। इस मंदिर की एक विशेष मान्यता है और लोगों का इस पर इतना विश्वास है कि यहां वर्ष पर्यंत कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। यही नहीं राजनीतिक एवं सामाजिक सरोकार की बैठकें भी यहां आयोजित होती है। इस मंदिर परिसर में पहले एक छोटा सा मंदिर था। लेकिन आस्था का केंद्र बनने के बाद यहां बड़े-बड़े बरामदे व हॉल तथा भोजन व्यवस्था के लिए बड़े टीन शेड भी लगाए गए हैं। इस मंदिर में पहले विद्युत की व्यवस्था नहीं थी। लेकिन अब यहां पर विद्युतीकरण भी हो गया है। जिसके चलते महाशिवरात्रि एवं अन्य पर्व पर विशेष सजावट एवं लाइट डेकोरेशन किया जाता है।

काला भाटा महादेव मंदिर के पुजारी योगीराज हीरानाथ महाराज।

मनोकामना होती है पूरी श्रावण मास के चारों सोमवार यहां पर धार्मिक अनुष्ठान एवं पूजा अर्चना के विशेष कार्यक्रमों की धूम रहती है। वर्ष पर्यंत एक बार ग्राम मेवदाकला के सभी समुदाय के लोगों के द्वारा सहस्त्र जलधारा का आयोजन होता है जिसमें सभी समाज के लोग भाग लेते हैं। लोगों का कहना है कि जब भी अकाल का साया रहता है। तब महादेव की सहस्त्र जलधारा करने के बाद निश्चित रुप से बरसात होती है। जिसके बाद क्षेत्र में अच्छे जमाने की उम्मीद भी जगती है। यहां से जुड़े शिव भक्तों का कहना है कि जो भी इस मंदिर में मन्नत मांगता है उसकी मुरादे पूरी होती है। सिद्ध पीठ काला भाटा महादेव मंदिर के बारे में दावा करते हुए ग्रामीण बताते हैं कि हजारों वर्ष पुराना मंदिर है। इस मंदिर की कहानी कम ही लोगों को पता है। जिन लोगों को पता थी वह लोग स्वर्ग सिधार गए है। लेकिन आस्था के नाम पर इस मंदिर की क्षेत्र में अब विशेष पहचान बन चुकी है। इस शिवालय में ऐसी कई मूर्तियां देखने को मिलेगी जिससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस स्थान की कितनी महिमा है। प्राचीन सिद्ध काला भाटा महादेव मंदिर बरसों पुराना प्राचीन मंदिर है तथा विगत कई वर्षों से संत महात्माओं द्वारा भगवान शिव की पूजा अर्चना करते आ रहे हैं। 1994 सावन माह की पूर्णिमा से सिद्ध पीठ के योगीराज हीरा नाथ महाराज इस मंदिर की विशेष पूजा अर्चना करते आ रहे हैं। प्राचीन सिद्धपीठ काला भाटा महादेव मंदिर को तपोभूमि भी कहा जाता है।
कालाभाटा महादेव मंदिर, मेवदाकला

तपोभूमि है कालाभाटा महादेव मंदिर बुजुर्गों का कहना है कि 1995 में माघ शुक्ल पक्ष सप्तमी सोमवार को देवता रूपी स्वामी सत्यानंद महाराज ने यहां मंदिर में प्रवेश कर इस मंदिर को एक अलग पहचान दी थी। स्वामी जी सत्यानंद महाराज के आने के बाद केकड़ी सहित आसपास के कई जिलों के लोग इस आस्था के केंद्र से जुड़ते रहे तथा अब यह तादाद सैकड़ों के बजाय हजारों में पहुंच गई है। स्वामीजी ने मंदिर उद्धार के लिए काफी प्रयास किए तथा आज इस शिवालय कि क्षेत्र में विशेष पहचान है। यहां से जुड़े लोगों का कहना है कि सत्यानंद स्वामी महाराज साक्षात एक भगवान का रूप है। इस मंदिर से जुड़े स्वामी सत्यानंद महाराज सन 1999 आषाढ़ शुक्ल पक्ष सप्तमी पर स्वामी महाराज का देवलोक गमन हो गया। लेकिन फिर भी लोगों की आस्था कम नहीं हुई। ऐसी मान्यता है कि जो भी इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ का दर्शन करता है उसकी मनोकामना पूरी होती है। वर्ष पर्यंत श्रावण मास के चारों सोमवार एवं अन्य त्योहारों पर भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। कालाभाटा महादेव मंदिर पर नमक चमक एवं पार्थिव शिवलिंग निर्माण एवं विसर्जन की पूजा सहित अन्य कई धार्मिक कार्यक्रमों का भव्य आयोजन होता है। जहां पर महाशिवरात्रि का पर्व विशेष तौर पर मनाया जाता है। इस सिद्ध पीठ काला भाटा महादेव मंदिर में स्वामी सत्यानंद महाराज गुरुदेव की प्रतिमा, संकट मोचन हनुमान महाराज, काशी के कोतवाल के नाम से प्रसिद्ध भैरू महाराज की धूणी तथा हिंगलाज माता व रिद्धि-सिद्धि की प्रतिमा स्थापित हो रखी है। इन प्रतिमाओं की स्थापना से इस स्थान का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

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