Monday, January 20, 2025
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संयम पथ पर अग्रसर होने से मिलता मोक्ष

केकड़ी। दिगम्बर जैन आचार्य इन्द्रनन्दी महाराज ने कहा कि मनुष्य को अपने जीवन में संयम पथ पर अग्रसर रह कर मोक्ष प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। जिस प्रकार भगवान आदिकुमार ने जीवन के महत्व को समझ कर संयम पथ अंगीकार किया। उसी प्रकार हमें भी इस भव के प्रत्येक क्षण का उपयोग धर्म अराधना में समर्पित करना चाहिए। वे सकल दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान में राजपुरा रोड स्थित आदिनाथ वाटिका में चल रहे आदिनाथ चर्तुविंशति जिन बिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के चौथे दिन प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए गुरु की शरण जरूरी है। उसी प्रकार कर्मों की निर्झरा करने के लिए भगवान का सुमिरण करना परम आवश्यक है। भावों से ही कर्मों का बंध भावों से ही कर्मों की निर्झरा होती है। जैसा कर्म हम करते है वैसा ही फल प्राप्त होता है।प्रवक्ता रमेश जैन ने बताया कि महोत्सव के दौरान महामुनि वृषभसागर महाराज की आहारचर्या एवं जिनेन्द्र देव की दिव्य देशना हुई। आहारचर्या के बाद आचार्य इन्द्रनन्दी महाराज, मुनि निपूर्णनन्दी महाराज, मुनि क्षमानन्दी महाराज मुनि निर्भयनन्दी महाराज एवं आर्यिका कमलश्री माताजी, आर्यिका मुक्तिश्री माताजी समेत समस्त मुनि आर्यिका संघ के पावन सानिध्य तथा प्रतिष्ठाचार्य पंडित सुधीर मार्तण्ड केसरियाजी एवं पंडित मनोज कुमार शास्त्री बगरोही के निर्देशन में ज्ञानकल्याणक की आंतरिक क्रियाएं हुई।जिनेन्द्र देव की दिव्य देशना के लिए भव्य समवशरण की रचना की गई। मंत्राराधना, अधिवासना, तिलक दान, मुखोद्घाटन, नेत्रोन्मीलन प्राण प्रतिष्ठा, सूरिमंत्र, केवलज्ञानोत्पति, समवशरण रचना, तत्वचर्चा, ज्ञान कल्याणक पूजन सहित विविध कार्यक्रम हुए। समाज के धनेश जैन ने बताया कि महोत्सव के अंतिम दिन गुरुवार को नित्याभिषेक, शांतिधारा पूजन, निर्वाण प्राप्ति, मोक्ष कल्याणक पूजन, विश्व शांति महायज्ञ, जिन बिम्ब स्थापना, कलशारोहण, ध्वजारोहण तथा नवीन जिनालय में प्रथम महाआरती का आयोजन होगा।

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