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गीता में जीवन का सार—संत ज्ञानानन्द

केकड़ी में गीता जयन्ती के अवसर पर प्रवचन करते संत ज्ञानानंद महाराज।

केकड़ी। संत ज्ञानानन्द महाराज ने कहा कि गीता में जीवन का सार है, जिसे पढक़र कलयुग में मनुष्य जाति को सही राह मिलती है। उन्होंने कहा कि इसके महत्व को बनाए रखने के लिए ही हिंदू धर्म में गीता जयंती मनाई जाती है। संत ज्ञानानन्द महाराज मंगलवार को सुबह गीता जयंती के अवसर पर यहां गीता भवन में आयोजित सत्संग कार्यक्रम के  दौरान प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भगवत गीता का हिंदू समाज में सबसे ऊपर स्थान माना जाता है और इसे सबसे पवित्र ग्रंथ माना जाता है। भगवत गीता स्वयं श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई थी। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र के युद्ध में जब अर्जुन अपने सगो को दुश्मन के रूप में सामने देखकर विचलित हो जाता है और शस्त्र उठाने से इंकार कर देता है तब स्वयं भगवान कृष्ण ने अर्जुन को मनुष्य धर्म एवं कर्म का उपदेश दिया। यही उपदेश भगवत गीता में लिखा हुआ है, जिसे मनुष्य जाति के सभी धर्मों एवं कर्मों का समावेश है। सत्संग के प्रारंभ में सत संस्कार सेवा समिति के संरक्षक पूरण कुमार कारिहा, सत्संग प्रमुख रामनारायण माहेश्वरी, समिति के अध्यक्ष सुभाष न्याती, मंत्री चन्द्रप्रकाश विजयवर्गीय, कोषाध्यक्ष राजेन्द्र फतेहपुरिया, पूर्व अध्यक्ष बिरदीचंद नुवाल, रामदेव जेतवाल, छीतर मल न्याति, गणेश सिंह भाटी आदि ने संत ज्ञानानन्द महाराज का माला पहनाकर स्वागत किया। कार्यक्रम के दौरान गीता जी के मूल पाठ का वाचन भी किया गया। अंत में श्रीमद भगवत गीता की महाआरती की गई। इस कार्यक्रम के दौरान गीता भवन में कई महिलापुरुष श्रद्धालु मौजूद रहे।

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