केकड़ी (आदित्य न्यूज़ नेटवर्क) शक्करगढ़ स्थित श्री अमर ज्ञान निरंजनी आश्रम के महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी जगदीशपुरी ने कहा कि व्यक्ति की जैसी दृष्टि होती है, वैसी ही सृष्टि होती है। जो व्यक्ति गुरू एवं प्रभु की बात मानता है वही जीवन में असली आनन्द की प्राप्ति कर सकता है। धन अशांति का मुख्य कारण है, शांति चाहिए तो त्याग की भावना मन में होनी चाहिए। संसार दुखों का निवास स्थान है। यहां हमेशा आनन्द का भ्रम बना रहता है, लेकिन मन मैला होने के कारण वास्तविकता में यह किसी को प्राप्त नहीं होता। वे गीता भवन में सत्संस्कार सेवा समिति के तत्वावधान में भगतानी परिवार की ओर से आयोजित भागवत कथा में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इन्सान को जीवन में सत्संग, संत सेवा व प्रभु का स्मरण करते रहना चाहिए। सत्संग से मन शुद्धि व सेवा से तन निरोग रहता है तथा प्रभु स्मरण से आत्मा को उसकी खुराक मिलती है। सब कुछ प्रभु का मानने वाला व्यक्ति ही सुखी जीवन जी सकता है। धर्म व्यक्ति को तोड़ने नहीं अपितु आपस में जोड़ने का कार्य करता है। आपस में लड़ाने व तोड़ने का कार्य अवसरवादी लोग करते है तथा इनसे बच कर रहने पर ही सत्संग का सुख प्राप्त किया जा सकता है। कथा के अंत में आयोजक देवन भगतानी एवं परिवारजनों ने भागवतजी की आरती की। सत्संस्कार सेवा समिति के चन्द्रप्रकाश विजयवर्गीय ने बताया कि प्रतिदिन 8.30 बजे से 11.30 बजे तक एवं दोपहर 3 बजे से सायं 6 बजे तक कथामृत की गंगा प्रवाहित हो रही है। समिति के पूर्व मंत्री सुरेन्द्र जोशी ने बताया कि रविवार को कृष्ण जन्मोत्सव का आयोजन होगा।