केकड़ी। नानेश पट्टधर, प्रवचन प्रभाकर, संयम सुमेरू जैनाचार्य प्रवर विजयराज महाराज ने कहा कि व्यक्ति बाहर से तो घर मकान आदि की सफाई पर ध्यान देता है। पर भीतर की मलीनता के बारे में नही सोचता है। जबकि बाहर की सफाई से ज्यादा जरूरी है, अन्तर्मन की सफाई। इसके लिए व्यक्ति को नरमाई, सच्चाई, भलाई व शरमाई को अपनाना होगा। वे शुक्रवार को वर्धमान स्थानक भवन में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अपने भीतर रहे अहम को छोड़कर नम्र बने। सत्य कहने वालों को कभी सोचना नही पड़ता है। सदैव भले बनो व भलाई करो। पाप के कार्यों में शर्म रखो। आचार्य श्री ने अपने विहार को लेकर कहा संत, सूरज, सैनिक व सरिता सब मुसाफिर होते है। सबको चलते रहना पड़ता है। उन्होंने साफ किया नही गर दिल को, गंगा नहाए तो क्या हुआ, पापों में मनवा घूम रहा माला फिराए तो क्या हुआ… भजन सुनाकर धर्मसभा को भक्ति रस से सरोबार कर दिया। धर्मसभा को संबोधित करते हुए संत जागृत मुनि ने कहा कि मानव निरन्तर परिग्रह के पाप में फंसकर अनन्त संसार को बढ़ा रहा है। परिग्रह से बचने के लिए सार्थक प्रयासों की जरुरत है। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ केकड़ी के अध्यक्ष अरविंद नाहटा ने बताया कि संयम सुमेरु जैनाचार्य प्रवर विजयराज महाराज ससंघ का शनिवार को सुबह केकड़ी से सरवाड़ की ओर मंगल विहार होगा। नाहटा ने बताया कि आचार्य प्रवर के अल्पकालीन प्रवास के दौरान केकड़ी में धर्म, ध्यान, जप व तप की जबरदस्त बयार बही। श्रद्धालु श्रावक—श्राविकाओं ने सभी धार्मिक कार्यक्रमों में श्रद्धा व उत्साहपूर्वक भाग लिया। आचार्यश्री की निश्रा में प्रतिदिन दोपहर के समय संस्कार पाठशाला लगाई गई। जिसमे बच्चों ने उत्साह व उमंग से भाग लेकर ज्ञानार्जन किया। संस्कार पाठशाला में भाग लेने वाले सभी बच्चों को शांतिलाल विनायका, सुशील कर्णावट, धर्मीचन्द बोरदिया व सुरेश लोढ़ा की ओर से पारितोषिक दिए गए। धर्मसभा मे ज्ञानचंद बोरदिया, विमल लोढा, अशोक विनायका, अक्षय नाहटा सहित अनेक जने मौजूद रहे। जैनाचार्य प्रवर की दिव्य प्रेरणा से संघ के श्रद्धालु श्रावकों ने शुक्रवार को स्थानक भवन में संवर तप की साधना की।इस दौरान युवा शक्ति भी समर्पण व श्रद्धा से ओत—प्रोत दिखाई दी।