केकड़ी (आदित्य न्यूज नेटवर्क) दिगम्बर जैन आचार्य अनुभव सागर महाराज ने कहा कि संतों का सानिध्य पुण्य से मिलता है। संतों का सानिध्य प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को अपना जीवन बहुआयामी बनाना पड़ता है। संसारी प्राणी भंवरे की तरह और—और की चाहत में यह भूल जाता है कि कभी जीवन का अंत भी होना है। समझदारी के बावजूद वह जीवन के सदुपयोग का विचार नहीं करता। वे बोहरा कॉलोनी स्थित नेमीनाथ मंदिर में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर समेटना नहीं आता है तो फैलाना भी नहीं चाहिए तथा जो विसर्जन की कला नहीं जानता उसे सर्जन से बचना चाहिए। मनुष्य बुद्धिमान माना जाता है। परंतु उसकी प्रवृत्ति मूर्खता की ही रहती है। जिसे पर मिले उसे घर चाहिए और जिसे घर मिला उसे पर चाहिए। ठंडा हो तो वह गर्म चाहता है तथा गर्म मिलने पर वह ठंडा चाहता है। जो है वह नहीं चाहता और जो नहीं है वह चाहता है। इसीलिए दुखी रहता है। संतों का सानिध्य पाकर अपनी प्रवृत्ति के परिवर्तन का पुरुषार्थ करना चाहिए। मीडिया प्रभारी रमेश जैन ने बताया कि गुरुवार को ससंघ कोहड़ा से विहार कर केकड़ी पहुंचे मुनि संघ की सकल दिगम्बर समाज की ओर से सावर रोड चौराहे पर भव्य अगवानी की गई। इसके बाद उन्हें जुलूस के रूप में मंदिर लाया गया। जुलूस भैंरुगेट, सदर बाजार होते हुए मंदिर परिसर पहुंचा। जहां धर्मसभा का आयोजन किया गया। पारस कुमार जैन ने बताया कि शाम को मंदिर में आनन्द यात्रा का आयोजन होगा। इस मौके पर अध्यक्ष अमरचन्द चौरूका, मंत्री भागचन्द जैन धून्धरी, कोषाध्यक्ष उत्सव जैन, शांतिलाल जैन जूनियां, देवालाल जैन, रतनलाल जैन समेत कई जने मौजूद रहे।