केकड़ी (नीरज जैन ‘लोढ़ा‘) ज्यादातर लोगों का मानना होता है कि खराब अथवा पुराना मोबाइल फोन किसी काम का नहीं होता। अगर आप भी अपने पास पड़े पुराने अथवा टूटे हुए मोबाइल को बेकार समझ रहे हैं तो यह आपकी सबसे बड़ी भूल है। इन दिनों साइबर आरोपियों की एक गैंग इस तरह के मोबाइल फोन को एकत्रित करने में लगी हुई है। साइबर अपराधी इन पुराने मोबाइल को ठीक कर उनका इस्तेमाल ऑनलाइन ठगी आदि में कर रहे है। ऐसे मामलों की जांच में पुलिस उसे आरोपी बना रही है, जिसके नाम मोबाइल पहले से पंजीकृत है। ऐसे में जागरुकता ही सबसे बड़ा हथियार है, जो हमें जेल की सलाखों के पीछे जाने से रोक सकता है।
लच्छेदार बातों से कर रहे प्रभावित मोबाइल साइबर अपराधियों के साथी इन दिनों गांव—कस्बे आदि में फेरी लगाकर मसाले, सूखे मेवे, रुपए एवं अन्य सामान का लालच देकर पुराने और निष्प्रयोज्य हुए मोबाइल फोन खरीद रहे हैं। लच्छेदार भाषा शैली के कारण आमजन इन फेरीवालों की बातों में आ जाते है और पुराने मोबाइल फोन बेचने की बात मान लेते है। साइबर अपराध के कानून से अनजान लोग घर में बेकार पड़े मोबाइल फोन को जरा से लालच के चक्कर में आकर बेच रहे है। साइबर अपराधियों के ये साथी ग्रामीण इलाकों से खरीदे गए मोबाइलों को साइबर क्रिमिनल्स की बड़ी गैंग को एकमुश्त बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहे है। साइबर क्राइम में लिप्त आरोपी इन मोबाइलों की खराबी को सही कर उन्हें वापस एक्टिवेट कर रहे है।
ऑनलाइन ठगी का प्रमुख ‘हथियार‘ इस तरह खरीदे गए सभी मोबाइल फोन का इस्तेमाल ऑनलाइन ठगी में किया जा रहा है। ऑनलाइन ठगी के मामलों में जब पुलिस मोबाइल फोन की डिटेल आदि की जांच करती है तो पुलिस उसी व्यक्ति को आरोपी बनाती है, जिसके नाम मोबाइल फोन पंजीकृत होता है। साइबर कानून भी ऐसे मामलों में पंजीकृत व्यक्ति को ही जिम्मेदार मानती है। ऐसे में पुराने अथवा खराब मोबाइल फोन को बेचने अथवा डिस्पोजल करने में बरती गई थोड़ी सी लापरवाही परेशानी का सबब बन सकती है।
एएनएन व्यू किसी भी फेरीवाले को जरा से लालच में आकर मोबाइल फोन मत बेचिए। ऐसे लोगों को मोबाइल फोन बेचना महंगा पड़ सकता है। फोन टूटने के बाद भी कई बार महत्वपूर्ण डाटा मोबाइल स्टोरेज में रह जाता हैं। जिसका गलत उपयोग हो सकता है। इससे बचने के लिए पुराने अथवा खराब मोबाइल को उचित तरीके से डिस्पोजल किया जाना चाहिए। मोबाइल फोन गुमने की स्थिति में साइबर साइट पर जाकर रिपोर्ट दर्ज करानी चाहिए तथा दर्ज रिपोर्ट की प्रति हमेशा संभालकर खुद के पास सुरक्षित रखनी चाहिए।