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प्रभु को जिमाया छप्पन भोग

केकड़ी। संत घनश्याम दास महाराज के पावन सानिध्य में बीजासण माता मंदिर के पास स्थित वृन्दा होटल में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस पर क​था करते हुए महामंडलेश्वर दिव्य मोरारी बापू ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं एवं गोवर्धन पूजा की कथा का वर्णन गान किया। उन्होंने कहा कि जैसी दृष्टि होती है, वैसी ही सृष्टि होती है। किसी को जब हम बुरा कहते हैं, तब हमें सोचना चाहिए कि हम अपने प्रतिबिम्ब को तो नहीं देख रहे। हर व्यक्ति को सफल जीवन जीने के लिए खुद के दोषों का दर्शन करना चाहिए। दूसरों के छिद्रों का अन्वेषण कभी नहीं करना चाहिए। भागवत की कथा दर्पण है। उसमें हमें अपने स्वदोषों के दर्शन होते है। हम त्रुटि को दूर करने का प्रयत्न करेंगे, तो निर्दोष बनेंगे और निर्मल बनेंगे। कथा महोत्सव के दौरान भक्तों ने गोवर्धन पूजा की व छप्पन भोग का उत्सव मनाया। कथा के अंत में श्रद्धालुओं ने पूजा आरती का लाभ प्राप्त किया।

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