प्रभु से बड़ा कोई नाम नहीं और प्रभु के काम से बड़ा कोई काम नहीं…

केकड़ी में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के दौरान प्रवचन करते आचार्य जगदीशपुरी महाराज।

केकड़ी (आदित्य न्यूज नेटवर्क) शक्करगढ़ स्थित श्री अमर ज्ञान निरंजनी आश्रम के महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी जगदीशपुरी ने कहा कि भागवत ज्ञान, भक्ति और वैराग्य का संगम है। यह वो कल्पवृक्ष है जिससे श्रद्धा और विश्वास के साथ श्रवण करने पर जो मांगते हैं, मिल जाता नियमों के साथ कथा श्रवण से मनोकामना पूर्ण होती है, पापी पुण्यात्माएं बन जातीं हैं। वे गीता भवन में सत्संस्कार सेवा समिति के तत्वावधान में भगतानी परिवार की ओर से आयोजित भागवत कथा में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मनुष्य जन्म मिलना दुर्लभ है। जीव कई जन्मों तक भटकने के बाद मानव शरीर प्राप्त करता है। लेकिन मनुष्य इसे सत्संग में व्यतीत करने के बजाए व्यर्थ के कार्यों में गंवा देता है। परमात्मा का स्मरण करने से ही मनुष्य अपने अपने निज घर को प्राप्त कर सकता है। माता-पिता की सेवा से बढक़र कुछ नहीं है। मनुष्य के चित्त में अगर परमात्मा का वास हो तो बिगड़े काम भी सरलता से बन सकते है।

प्रभु से बड़ा कोई नाम नहीं है और प्रभु के काम से बड़ा कोई काम नहीं है। भगवान श्रीकृष्ण जन-जन की आस्था के केन्द्र है। कलियुग में राम-कृष्ण का नाम संकीर्तन ही भवसागर को पार लगाने वाला है। सत्संग से भगवान भी भक्त के ऋणी हो जाते है। प्रभु का नाम जाप मनुष्यों के पापों, दुखों व कष्टो का हरण करता है। यह संसार के सभी प्राणियों को शान्ति प्रदान करता है। कथा के अंत में आयोजक भगवान दास, देवन दास, कन्हैयालाल, पुरुषोत्तम, चेतन भगतानी एवं परिवारजनों ने भागवतजी की आरती की। सत्संस्कार सेवा समिति के चन्द्रप्रकाश विजयवर्गीय ने बताया कि प्रतिदिन 8.30 बजे से 11.30 बजे तक एवं दोपहर 3 बजे से सायं 6 बजे तक कथामृत की गंगा प्रवाहित हो रही है।