केकड़ी (आदित्य न्यूज नेटवर्क) भिनाय उपखण्ड के ग्राम नान्दसी में एक मकान के लिए दो पत्नियां आपस में भिड़ गई। मकान के स्वामित्व को लेकर शुरु हुई लड़ाई अदालत तक जा पहुंची। पति ने दूसरी पत्नी को समर्थन देते हुए मकान स्व अर्जित आय का होने का हवाला दिया। नौ साल तक चली सुनवाई के बाद न्यायालय ने फैसला पहली पत्नी के पक्ष में सुना दिया। प्रकरण के तथ्यों के अनुसार नान्दसी निवासी संगीता पत्नी बजरंग लाल लौहार ने नौरती देवी के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा का दावा प्रस्तुत करते हुए नान्दसी स्थित मकान को स्वयं का बताया। उक्त दावे की सुनवाई में नौरती देवी की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता मनोज आहूजा ने विविध तर्क दिए। आहूजा ने न्यायालय को बताया कि नौरती देवी नान्दसी निवासी बजरंग लाल लौहार की पहली पत्नी है तथा वह जिस मकान में निवास कर रही है, उस मकान पर दूसरी पत्नी संगीता का कोई हक नहीं है। नौरती देवी शादी करने के बाद से ही इसी मकान में निवास कर रही है। नौरती के समर्थन में आहूजा ने कई गवाह व दस्तावेज प्रस्तुत किए। दूसरी तरफ संगीता के समर्थन में पति बजरंग लाल ने बयान दिया कि उक्त मकान स्व अर्जित आय का है। नौ साल तक चले वाद का निस्तारण करते हुए न्यायालय ने दूसरी पत्नी संगीता की ओर से प्रस्तुत वाद को खारिज करने के आदेश दिए है।