केकड़ी। हिन्दू परम्पराओं में मुहुर्त का विशेष महत्व होता है। सनातन धर्म में प्रत्येक कार्य के लिए विशिष्ट मुहुर्त निर्धारित किया गया है। वहीं हर वर्ष कुछ ऐसा समय भी आता है, जब शुभकार्य के मुहुर्त नहीं होते। इस अवधि में सभी शुभ कार्य वर्जित माने जाते है। इस अवधि को मलमास कहा जाता है। इस वर्ष मलमास आगामी 15 दिसम्बर को शुरु हो रहा है, जो 14 जनवरी 2022 तक रहेगा। पंडित हितेश व्यास ‘भीम‘ ने बताया कि सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने को मलमास कहा जाता है। मलमास के दौरान सभी तरह के मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते है। उक्त अवधि में शादी, सगाई, लोकार्पण, प्राण—प्रतिष्ठा, शिलान्यास, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार, यज्ञोपवीत, नामकरण जैसे मांगलिक कार्य वर्जित रहते है। व्यास ने बताया कि इस दौरान निष्काम भाव से किए जाने वाले धार्मिक कार्य किए जाने चाहिए। पुरुषोत्तम मास में दीपदान, वस्त्र एवं श्रीमद् भागवत कथा ग्रंथ दान का विषेष महत्व है। इस मास में पूजा, अनुष्ठान, नवग्रह जप, दीपदान करने से धन–वैभव में वृद्धि होने के साथ पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है।