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रहें न रहें हम, महका करेंगे, बन के कली, बन के सबा, बाग-ए-वफ़ा में…

रेत के धोरों में कलाकृति बनाकर प्रख्यात गायिका लता मंगेशकर को श्रद्धासुमन अर्पित करते सेंड आर्टिस्ट अजय रावत।

केकड़ी (आदित्य न्यूज नेटवर्क) देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्नसे सम्मानित स्वर कोकिला लता मंगेशकर का रविवार को मुम्बई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। उनके निधन से एक युग का अंत हो गया। एक ऐसी आवाज सदा के लिए खामोश हो गई, जिसे सुनकर कई पीढ़ियां जवान हुई। पूरा देश उनके निधन से गम के आंसूओं में डूबा हुआ है। देश ही नहीं दुनियां भर के करोड़ों लोग उनके जाने से गमजदा है। उनका व्यक्तिगत जीवन त्याग और समर्पण की मिसाल है। सात दशक के जादुई फिल्मी कॅरियर में उनकी आवाज का जादू इस कदर छाया रहा कि अभिनेत्रियों की पीढ़ियां बदलती रही, लेकिन उनकी आवाज नहीं बदली। उनके गाए गीत भारत ही नहीं अपितु दुनियां भर में सुने और सराहे जाते रहे। हर व्यक्ति लता दीदी के निधन पर अपने—अपने तरीके से शोक संवेदना प्रकट कर रहा है। इसी कड़ी में पुष्कर के सेंड आर्टिस्ट अजय रावत ने भी रेत के धोरों में कलाकृति बनाकर लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि अर्पित की है। रावत ने अपनी कलाकृति में लता दीदी का चित्र, पुराने जमाने का चूड़ी बाजा, तिरंगा झंडा व सरगम के सुर प्रदर्शित किए है।

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