केकड़ी। श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञानयज्ञ कथा के चतुर्थ दिवस पर कथा स्थल-वृंदा होटल में कथा वक्ता, राष्ट्रीय संत महामंडलेश्वर दिव्य मोरारी बापू ने गजेंद्र मोक्ष, समुद्र- मंथन, वामन अवतार, श्री रामचरित, श्रीकृष्ण जन्म एवं नंदोत्सव की कथा का गान किया। उन्होंने कहा कि यश प्राप्त करने की दौड़ में आगे रहना अनुचित बात नहीं है, मगर दूसरे की बात को बिगाड़ कर यश प्राप्त करना अनुचित है। यश भागी बनने और यश भागी बनने के लिये दूसरे को यश देने की वृत्ति रखने से ही यशभागी बन सकते है। जगत में बड़ा वह है जो अन्य को बड़ा कर दिखाता है। भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य् का अवसर जानकर नंद बाबा की बहन सुनंदा जी आयी हैं। हम आपको भी सुनंदा बनना है। जगत में दो प्रकार के लोग होते हैं। एक प्रकार के लोग जहां जाते हैं वहां आनंद होता है और दूसरे प्रकार के लोग जहां से जाते हैं। वहां आनंद होता है। उन्होंने कहा कि चेतना का विकास होता है तो हमारा प्रेम आनंत की ओर बहने लगता है और अनन्तता की ओर बढ़ता चला जाता है। कथा के समापन पर हरिप्रसाद जोशी और उनके परिवार ने सहयोग किया। कथा में उपस्थित सैकड़ों भक्तों ने श्रद्धालुओं ने पूजा आरती का लाभ प्राप्त किया।
