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संगीतमय सुन्दरकांड पाठ की स्वर लहरियों के साथ श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव सम्पन्न

केकड़ी। राष्ट्रीय संत महामंडलेश्वर दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि परमात्मा के रंगमंच पर हम सब अभिनेता हैं, सूत्रधार भगवान हैं। सूत्रधार की जो भी इच्छा हो हम उसी में सुर मिलाते हुए आनंद से नृत्य करें। भगवान की रासलीला से प्रेरणा लें और जीवन को आनंदमय बनाएं। वे यहां बीजासण माता मंदिर के समीप स्थित वृंदा होटल में चल रही श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव के समापन अवसर पर प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें अपनी धरती और देश की तनमनधन से रक्षा करनी करनी है और यह तभी संभव है जब हम अपनी जन्मभूमि, अपनी धरती, अपना देश, अपनी राष्ट्रभूमि के प्रति निष्ठावान रहें। उसकी उन्नति के लिए कार्यान्वित बने और उसके सम्मानित अस्तित्व की रक्षा के लिए सदैव संगठित एवं जागरूक रहें।

ॠषियों का उपदेश होता था कि कोई भी व्यक्ति ऐसा कोई भी काम करें जिससे अपनी मातृभूमि की प्रतिष्ठा गिरे, और ऐसा कोई भी मार्ग अपनाएं जिससे अपने देश के पतन की संभावना हो। हमारे देश के ऋषि हृदय से कामना करते हैं कि विश्व के सभी मानव उन्हें मित्र के की दृष्टि देखें और वे भी विश्व के सभी मानवों  को मित्र की दृष्टि से देखें। इस प्रकार विश्व में सभी मानव सभी मानवों  को मित्र की दृष्टि से देखें और जो हमें प्राप्त हुआ है उसी का उपयोग करें किसी दूसरे के धन को छीन लेने का लोभ करें। समापन अवसर पर संगीतमयी सुन्दरकाण्ड पाठ किया गया। अंत में विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।

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