केकड़ी। राष्ट्रीय संत महामंडलेश्वर दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि परमात्मा के रंगमंच पर हम सब अभिनेता हैं, सूत्रधार भगवान हैं। सूत्रधार की जो भी इच्छा हो हम उसी में सुर मिलाते हुए आनंद से नृत्य करें। भगवान की रासलीला से प्रेरणा लें और जीवन को आनंदमय बनाएं। वे यहां बीजासण माता मंदिर के समीप स्थित वृंदा होटल में चल रही श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव के समापन अवसर पर प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें अपनी धरती और देश की तन– मन– धन से रक्षा करनी करनी है और यह तभी संभव है जब हम अपनी जन्मभूमि, अपनी धरती, अपना देश, अपनी राष्ट्रभूमि के प्रति निष्ठावान रहें। उसकी उन्नति के लिए कार्यान्वित बने और उसके सम्मानित अस्तित्व की रक्षा के लिए सदैव संगठित एवं जागरूक रहें।
संगीतमय सुन्दरकांड पाठ की स्वर लहरियों के साथ श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव सम्पन्न
