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सभी तरह के संकटों से उबरने का सर्वोत्तम साधन है ‘श्रीमद्भगवद्गीता’

केकड़ी: गीता भवन में भागवत कथा करते स्वामी जगदीश पुरी जी महाराज।

केकड़ी, 29 मई (आदित्य न्यूज नेटवर्क): जन जन की आस्था के केन्द्र गीता भवन में महामंडलेश्वर स्वामी जगदीश पुरी जी महाराज के सानिध्य में चल रहा श्रीमदभागवत ज्ञान महायज्ञ सोमवार को सम्पन्न हुआ। कथा के समापन पर स्वामी जगदीशपुरी ने कहा कि श्रीमदभागवद एक सार्वभौम ग्रंथ है। यह किसी काल, धर्म, संप्रदाय या जाति विशेष के लिए नहीं, अपितु संपूर्ण मानव जाति के लिए है। इसे स्वयं श्री कृष्ण भगवान ने अर्जुन को निमित्त बनाकर कहा है, इसलिए इस ग्रंथ में श्री भगवानुवाच का प्रयोग किया गया है। उन्होने बताया कि इस छोटे से ग्रंथ में इतने सत्य, ज्ञान और उपदेश भरे हैं जो मनुष्य मात्र को भी देवताओं के स्थान पर बैठाने की शक्ति प्रदान करते हैं। भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में पवित्र गीता का दिव्य उपदेश तो अर्जुन को दिया था, लेकिन वास्तव में अर्जुन तो माध्यम मात्र था। श्री कृष्ण उसके माध्यम से संपूर्ण मानव जाति को सचेत करना चाहते थे। श्रीमद्भगवद्गीता सब तरह के संकटों से मानव जाति को उबारने का सर्वोत्तम साधन है।
केकड़ी: गीता भवन में भागवत कथा के दौरान उपस्थित श्रद्धालु।

गीता से मिलता शांति का मंत्र गीता विश्व में भयमुक्त समाज की स्थापना का मंत्र देती है, जो विश्व में शांति कायम करने में सर्वथा सक्षम है। श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश उस समय दिया जब कुरुक्षेत्र में अर्जुन को विषाद उत्पन्न हो गया और श्री कृष्ण से अर्जुन ने कहा कि उसे स्वजनों को मारकर राज्य की इच्छा नहीं है। मैं युद्ध नहीं करना चाहता। भगवान श्री कृष्ण समझ गए की अर्जुन मोह ग्रस्त हो गया है। अर्जुन ने श्री कृष्ण से अनेकानेक सवाल किए, जिनके उत्तर देकर श्री कृष्ण ने उसे निराशा से उबारा और वह फिर से युद्ध के लिए तैयार हो गया। इसी निराशा को आशा में बदलने का नाम ही ‘गीता’ है। कथा के दौरान ब्रहमचारी महेन्द्र चैतन्य ने भक्ति भजन प्रस्तुत कर उपस्थित लोगों को नृत्य करने के लिए विवश कर दिया। कथा के अंत में मुख्य आयोजक तारा प्रकाश व्यास ने व्यास पीठ सहित कथा व्यास स्वामी जी महाराज का पूजन किया। बाद में सभी श्रद्वालुओं द्वारा भागवत भगवान की आरती की तथा अंत में प्रसाद वितरित किया गया।
केकड़ी: गीता भवन में भागवत कथा के दौरान प्रवचन करते स्वामी रामदयाल जी महाराज।

स्वामी रामदयाल महाराज पंहुचे गीता भवन कथा के दौरान महामंडलेश्वर स्वामी जगदीश पुरी जी महाराज के आग्रह पर शाहपुरा स्थित रामनिवास धाम के पीठाधीश्वर रामदयाल जी महाराज भी गीता भवन पहुंचे जिनका श्रद्धालु महिला पुरुषों द्वारा जोरदार स्वागत किया गया। इस मौके पर उन्होंने प्रवचन देते हुए कहा कि जीवन में मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। अहंकारी व्यक्ति कभी सेवा नही कर सकता है। मानव मात्र की सेवा करना ही परमात्मा की सेवा है क्योंकि मानव में ही परमात्मा होते है। हर व्यक्ति को सेवा संकल्प लेना चाहिए जिन्होंने मन में सेवा का संकल्प ले लिया हो उसे पूर्ण करना ही चाहिए। उन्होंने स्वामी जगदीश पुरी जी महाराज को अत्यंत सरल, सहज व सुलभ संत बताते हुए उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व की खुलकर प्रशंसा की।
केकड़ी: गीता भवन में भागवत कथा के दौरान स्वामी जगदीशपुरी महाराज से आशीर्वाद लेते समरवीर सिंह शक्तावत, योगराज सिंह शक्तावत एवं धनेश जैन।

संतों का किया स्वागत, लिया आशीर्वाद इस मौके पर सत संस्कार सेवा समिति की ओर से पूरण कुमार कारिहा, सुभाष चंद्र न्याति, चंद्रप्रकाश विजयवर्गीय, राजेंद्र फतेहपुरिया, सुरेंद्र जोशी, रामदेव जेतवाल द्वारा उनका माला एवं शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया गया। इनके अलावा शक्करगढ़ में नवनिर्मित श्री संकट हरण हनुमत धाम मंदिर निर्माण में भरपूर सहयोग करने वाले समर वीर सिंह शक्तावत, योगराज सिंह शक्तावत एवं धनेश जैन का समिति की ओर से माला पहनाकर एवं शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया गया। समिति के सचिव चंद्रप्रकाश विजयवर्गीय ने बताया कि गीता भवन में 31 मई से प्रतिदिन सुबह 8:30 से 9:30 तथा शाम 4:30 से 5:30 बजे तक चैतन्यानंद महाराज के सानिध्य में सत्संग कार्यक्रम प्रारंभ हो रहा है। विजयवर्गीय के अनुसार गीता भवन का पाटोत्सव भी आगामी 22 से 25 जून तक आयोजित किया जाएगा।

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