डुठारिया (आदित्य न्यूज नेटवर्क) गच्छाधिपति आचार्य जिनमणिप्रभसूरि महाराज ने कहा कि वर्तमान का जीवन बहुत लम्बा नहीं है। हमें बहुत जल्दी अपनी उम्र पूरी करके आगे की यात्रा प्रारंभ करनी है। इस भव में हमें यहां के जीवन का भी ध्यान रखना है और अगले भव की भी तैयारी करनी है। वे डुठारिया नगर में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जीवन में विवेक जरूरी है। विवेक के अभाव में हम व्यर्थ में पाप कर्मों का बंधन कर लेते हैं। यदि आधी बाल्टी पानी से स्नान हो सकता है, तो घंटों तक नल के नीचे बैठकर पानी को बर्बाद करना घोर हिंसा है। उन्होंने कहा कि जीवन में हमें अपनी आवश्यकताओं पर अंकुश लगाना है। सुखी वही होता है, जो अपनी कामनाओं को अल्प करता है। जिसकी इच्छाएं जितनी अधिक होगी, वह उतना ही अपने जीवन में दुखी होता जाएगा और यह भी निश्चित तथ्य है कि अपने ही कारण जो दुखी होता है, वह अपने साथ दूसरों को भी दुखी करता है। उन्होंने कहा कि महाभारत में मित्रता के दो उदाहरण उपलब्ध होते हैं। एक द्रुपद और द्रोण का। तो दूसरा वासुदेव श्रीकृष्ण एवं सुदामा का है। ये दोनों अपने बाल्यकाल में मित्र थे। एक राजा बना, दूसरा गरीब रहा। पर मित्रता निभाने का जो उदाहरण वासुदेव श्रीकृष्ण ने प्रस्तुत किया, वह अपने आप में अलौकिक व ग्रहण करने योग्य है।
आत्म-ज्ञान स्वयं की साधना का परिणाम आाचार्यश्री ने कहा कि उपदेश तभी सार्थक है जब उसमें आचरण की दिव्यता हो। आचरण के अभाव में उपदेश थोथा वितण्डावाद और मायाजाल है। भगवान महावीर ने स्वयं तप, साधना और ध्यान-समाधि के द्वारा मुक्ति रूपी सत्य को प्राप्त किया और बाद में देशना दी। उन्होंने कहा कि जगत की सभी वस्तुओं का आदान प्रदान किया जा सकता है। पर आत्म-ज्ञान तो स्वयं की साधना का ही परिणाम है। उसे कोई दे नहीं सकता, कोई ले नहीं सकता। उसे तो खुद तप कर ही प्राप्त करना होता है। जगत में जितने भी मंत्र तंत्र यंत्र चलते हैं वे सभी मात्र संसार के साधनों की प्राप्ति का कारण हो सकते हैं। परन्तु आत्म तत्व की प्राप्ति के लिये कोई मंत्र उपयोगी नहीं हो सकता। उसके लिए तो ये सारे मंत्र मात्र षड्यंत्र का हिस्सा है। आत्म तत्व की प्राप्ति के लिए स्वयं के आचरण की शुद्धि अनिवार्य है। डुठारिया श्रीसंघ के अध्यक्ष ने बताया कि पूज्य आचार्यश्री की निश्रा में आठ साल पहले विशाल आदिनाथ जिन मंदिर की भव्य प्रतिष्ठा हुई थी। प्रतिष्ठा के बाद पहली बार पधारने पर गुरुदेव का भव्य सामैया किया गया। इस अवसर पर पाली, सेतरावा, जहाज मंदिर, खिमेल, सोमेसर, देवली, पाबूजी आदि क्षेत्रों से बड़ी संख्या में अतिथिगण पधारे। इस अवसर पर जहाज मंदिर के मंत्री सूरजमल देवडा, भायंदर खरतरगच्छ संघ के अध्यक्ष बिशनसिंह मेहता, लाभचंद मेहता, सेतरावा संघ के अध्यक्ष भवरलाल लोढ़ा, नवलखा मंदिर पाली के सचिव ओमप्रकाश छाजेड आदि का बहुमान किया गया।