केकड़ी। यहां बीजासण माता मंदिर के समीप स्थित वृन्दा होटल में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन राष्ट्रीय संत महामंडलेश्वर मुरारी बापू ने कथा वाचन करते हुए कहा कि हरि भजन बिना सुख शांति नहीं। चाहे धर्म हो, चाहे पूजा हो, चाहे प्रवचन हो, चाहे कथा श्रवण हो, सत्संग हो। यह सब अपने स्व में स्थित होने के साधन है। जब हम किसी से सद्भाव करते हैं तो अपने स्वरूप में स्थिर होते हैं। नफरत करते हैं तो अपने स्वरूप से दूर होते हैं। ईश्वर ने हृदय दिया है सबके प्रति सद्भाव करने के लिए। इसीलिए चौबीस घंटे प्रेम से हरे भरे रहो। ऐसा करना असंभव नहीं है। चौबीस घंटे नफरत करना संभव ही नहीं है। चौबीस घंटे क्रोध करना भी संभव नहीं है। लेकिन चौबीस घंटे शांत रहना संभव है। चौबीस घंटे प्राणी मात्र के प्रति सद्भाव स्नेह करना संभव है। कथा के दौरान भागवत जी की पूजन का सोभाग्य राजेन्द्र कुमार न्याती परिवार को प्राप्त हुआ। कथा के समापन पर तोषनीवाल परिवार सहित उपस्थित सैकड़ों भक्तों व श्रद्धालुओं ने आरती की।