केकड़ी, 31 अगस्त (आदित्य न्यूज नेटवर्क): जैन साध्वी प्रियंका श्रीजी ने कहा कि अंतरंग से बहिरंग तक जो त्याग कर सकता है वही व्यक्ति यशस्वी एवं कीर्तीमानी बन सकता है। सांसरिक सुख भोगने के बाद भी व्यक्ति तृप्ति का अनुभव नहीं कर सकता। पांच पापों का परित्याग करने तथा तप व धर्म की ओर अग्रसर होने पर ही परम शांति का अनुभव हो सकता है। वे सब्जी मण्डी स्थित स्थानक भवन में प्रवचन कर रही थी। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को राग, द्वेष, कषाय, लोभ व माया से दूर रहते हुए धर्म का पालन करना चाहिए। जब तक तत्व स्वरूप की जानकारी नहीं होगी आत्मा का कल्याण असंभव है। कषायों का शमन करने वाला व्यक्ति ही अपने भावों को शुद्ध कर सकता है। धर्मसभा के दौरान जैन समाज की ओर से मासक्षमण तप (31 उपवास) की आराधना करने पर स्नेहलता सांखला का अभिनन्दन पत्र, माल्यार्पण एवं शॉल ओढ़ा कर बहुमान किया गया। प्रो. ज्ञानचन्द सुराणा ने अभिनन्दन पत्र का वांचन किया। इस दौरान साध्वी हींकार श्रीजी, साध्वी शील सुगंधा श्रीजी एवं साध्वी श्रुति प्रज्ञा ने भी विचार व्यक्त किए।
धर्मसभा के दौरान सक्षम कर्णावट ने आठ, राकेश गोखरु ने नौ, सुशीला कोठारी ने आठ एवं चंचल लोढ़ा ने आठ उपवास के प्रत्याख्यान किए। समाज की ओर से इनका माला व शाल ओढ़ाकर बहुमान किया गया। इस अवसर पर जितेंद्र सिंघवी, शांतिलाल विनायका, कंचन बाई तातेड़, सुशीला चीपड़, अनीता नाहटा, अनीता सांखला, प्रेक्षा जैन, प्रियंका बोरदिया, नेहल जैन तनीषा लोढ़ा, आकांक्षा बग्गाणी, मुमुक्षु शिवानी भंडारी, जोधपुर निवासी गुड़िया छाजेड़, राखी कोटडिया एवं वीरमाता रेखा गांधी ने भी विचार व्यक्त किए। आयोजन में अध्यक्ष अरविंद नाहटा, कोषाध्यक्ष ज्ञानचंद बोरदिया आदि ने सहयोग किया।
करें तप का अभिनन्दन, तपस्वी जय जयकारी…
