केकड़ी, 13 नवम्बर (आदित्य न्यूज नेटवर्क): दिगम्बर जैन मुनि सुश्रुत सागर महाराज ने कहा कि भगवान महावीर ने जगत को जीओ और जीने दो का संदेश देते हुए बताया कि हर प्राणी को जीवन जीने का हक है। हमें हर जीव की रक्षा के लिए तत्पर रहना चाहिए। वे सोमवार को देवगांव गेट स्थित चन्द्रप्रभु जैन चैत्यालय में आयोजित भगवान महावीर के 2550वें निर्वाण महोत्सव को संबोधित करते हुए बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्व में शांति का रास्ता भगवान महावीर द्वारा बताए गए अहिंसा के मार्ग से ही प्रशस्त हो सकता है। जीवन को सफल बनाने के लिए हर व्यक्ति को भगवान महावीर के संदेशों की अनुपालना करनी चाहिए।
केकड़ी: भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण महोत्सव पर जैन समाज की ओर से आयोजित जुलूस में मुनिश्री के साथ मौजूद शर्मा एवं गौतम।
पाद प्रक्षालन कर लिया आशीर्वाद केकड़ी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी शत्रुघ्न गौतम एवं कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. रघु शर्मा ने महोत्सव में शिरकत की तथा मुनि सुश्रुत सागर महाराज व क्षुल्लक सुकल्प सागर महाराज के पाद प्रक्षालन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान जैन समाज के लोगों ने दोनों नेताओं का दुपट्टा पहनाकर स्वागत किया। मुनिश्री ने शर्मा व गौतम को साहित्य भेंट किया। वे जैन समाज की ओर से आयोजित जुलुस में भी शामिल हुए। इस मौके पर नगर परिषद सभापति कमलेश साहू, दिगम्बर जैन समाज अध्यक्ष भंवरलाल बज, नगर कांग्रेस अध्यक्ष हेमंत जैन, युवा नेता धनेश जैन समेत समाज के कई जने मौजूद रहे।
समर्पित किया निर्वाण मोदक निर्वाण महोत्सव के तहत शहर के सभी जैन मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना की गई तथा भगवान महावीर को निर्वाण मोदक समर्पित किए गए। विभिन्न मंदिरों में निर्वाण लाडू चढ़ाने के बाद मुनि संघ के सानिध्य में चन्द्रप्रभु चैत्यालय से भव्य शोभायात्रा निकाली गई। जिसमे स्वर्ण मंडित तीन रथ, जैन पताका थामे अश्वारोही, ध्वज व मोदक लिए बालक—बालिकाएं, विविध महिला समूहों द्वारा प्रस्तुत अष्ट प्रातिहार्य, सोलह स्वप्न, पंचकल्याणक व भगवान महावीर के पांच नाम, जैन रामायण, पाठशाला के बच्चों का जयघोष, बारह भावना के चित्रण सहित झांकी आकर्षण का केन्द्र रही।
केकड़ी: महावीर निर्वाण महोत्सव को संबोधित करते मुनि सुश्रुत सागर महाराज।
गूंजे भगवान महावीर के जयकारे दिगम्बर जैन समाज के प्रवक्ता नरेश जैन ने बताया कि शोभायात्रा नगर के विभिन्न मार्गों से होते हुए वापस चैत्यालय पहुंच कर सम्पन्न हुई। शोभायात्रा के बाद जिन प्रतिमाओं का रजत कलशों से कलशाभिषेक किया गया। भगवान महावीर स्वामी की सामूहिक संगीतमय पूजा की गई। श्रावक श्राविकाओं ने निर्वाण कांड का सामूहिक उच्चारण किया तथा भगवान महावीर के जयकारों के साथ 2550 मोदक समर्पित किए। मंगल आरती के साथ महोत्सव का समापन हुआ।