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क्षमा दिवस पर जैन धर्मावलम्बियों ने मांगी एक-दूसरे से क्षमा, हाथ जोड़कर कहा ‘उत्तम क्षमा’

केकड़ी: क्षमा दिवस पर जिनेन्द्र प्रतिमाओं का कलशाभिषेक करते श्रावक।

केकड़ी, 30 सितंबर (आदित्य न्यूज नेटवर्क): दशलक्षण पर्व के अवसर पर शनिवार को सकल दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान में क्षमा दिवस पर विविध कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस दौरान दिगम्बर जैन मंदिरों में नित्य पूजन व जिन प्रतिमाओं के अभिषेक किए गए। शाम को क्षमा पर्व का जुलूस निकाला गया। अजमेर रोड स्थित शांतिनाथ जिनालय से प्रारम्भ हुआ जुलूस बोहरा कॉलोनी स्थित ऋषभदेव जिनालय, नेमिनाथ मंदिर, घण्टाघर स्थित आदिनाथ मंदिर, देवगांव गेट स्थित पार्श्वनाथ मंदिर, सरावगी मोहल्ला स्थित मुनिसुव्रतनाथ मंदिर, गुजराती मोहल्ला स्थित शांतिनाथ मंदिर होता हुआ विद्यासागर मार्ग स्थित चन्द्रप्रभु जैन चैत्यालय पहुंचकर सम्पन्न हुआ। भगवान चन्द्रप्रभु के जयघोषों के बीच श्रीजी की प्रतिमाओं का अभिषेक किया गया। अभिषेक कार्यक्रम के बाद जैन धर्मावलम्बियों ने परस्पर एक-दूसरे से वर्ष भर में की गई भूलों और गलतियों के लिए क्षमा मांगी।
केकड़ी: क्षमा दिवस पर प्रवचन करते मुनि सुश्रुत सागर महाराज।

सरल व्यक्ति कर सकता है उत्तम क्षमा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दिगम्बर जैन मुनि सुश्रुत सागर महाराज ने कहा कि क्षमा वही व्यक्ति धारण कर सकता है जो समताधारी हो। क्रोध की आयु अल्प होती है, लेकिन बैर की आयु दीर्घ होती है ऐसे में जीवन में सरलता और सहजता को धारण करने वाला व्यक्ति ही उत्तम क्षमा को प्राप्त कर सकता है तथा उत्तम क्षमा कर सकता है। मानव की सफलता अहंकार में नहीं क्षमा में है। जो व्यक्ति क्षमा मांगने व क्षमा करने की कला सीख लेता है। वह जीवन जीने की कला को जान लेता है। इस मौके पर चैत्यालय परिसर में सैंकड़ों जैन धर्मावलम्बी मौजूद रहे।

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