Wednesday, April 30, 2025
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गुर्जर समाज ने पितरों का किया तर्पण, खीर-चूरमे का लगाया भोग

केकड़ी, 12 नवम्बर (आदित्य न्यूज नेटवर्क): केकड़ी में दीपावली की खुशियों के बीच गुर्जर समाज ने एक अनूठी परम्परा का निर्वहन किया। तालाब में छांट भरकर पितरों का तर्पण किया और खीर चूरमे का भोग लगाया। वहीं नए जन्मे बच्चों की खुशी में गुड़ भी बांटा। गुर्जर समाज के लोग श्राद्ध पक्ष के बजाय अपने पूर्वजों की याद में दीपावली के दिन छांट भरते है और पानी का तर्पण करते है। इससे जहां तालाबों, एनिकटों व अन्य जल स्त्रोतों को शुद्ध रखने की सीख मिलती है। वहीं इस परंपरा से भाईचारा बढ़ता है।

छांट भरने के बाद खाते है खाना गोपाल गुर्जर मोलकिया ने बताया कि छांट भरने के बाद ही समाज के लोग दीपावली की खुशियां मनाते है। समाज के लोग एकत्रित होकर सामूहिक रूप से अपने पितरों को खीर व चूरमे का भोग लगाते है। छांट भरने के बाद ही समाज के लोग खाना खाते है। दीपावली के एक दिन पहले ही गुर्जर समाज के लोग अपनी तैयारी पूरी कर लेते है। गुर्जर समाज में श्राद्ध मनाने की यह अनूठी परम्परा सालों से मनाई जा रही है। दीपावली के दिन सुबह से छांट भरने तक समाज के लोग कुछ नहीं खाते है। छांट तालाब व साफ जल स्त्रोतों पर भरने का रिवाज है।

तालाब किनारे होता है आयोजन दीपावली के दिन सुबह 11 बजे तक गुर्जर समाज के लोग अपने परिवार के साथ थाली में फलके, खीर आदि बनाकर तालाब के किनारे पहुंचते है। पंरपरागत वेशभूषा पहने समाज के लोग तालाब पर भोग लगाते है। उसके बाद वहां मौजूद अन्य परिवारों के लोग आंधी झाड़ा की बेल के साथ हाथ में भोग लगाने के बाद भोजन लेकर उसको पानी में लंबी कतार बनाकर पूर्वजों का नाम लेकर उनकी याद में तर्पण करते है। पानी में उस भोजन को जीव जंतुओं को खिलाते है। परिवार के लोग आपस में मिलकर स्वयं भी खाते है। मदन गुर्जर एकलसिंहा ने बताया कि जिस तालाब पर छांट भरने जाते है। वहां से पानी भी लाते है उसके छांटे देकर अपने घरों को पवित्र करते है।

बच्चे पैदा होने की खुशी में बांटते है गुड़ भैरूलाल गुर्जर व श्योजीराम गुर्जर ने बताया कि छांट के दौरान एक दो दिन पहले पैदा हुए बच्चे तक को भी लेकर जाते है। उसका एक हाथ बैल पर लगवाते है ताकि उनकी बैल बढ़े तथा पंरपरागत संस्कार मिलने के साथ फले फूले। खुशी के इस पर्व पर समाज के लोग अपने पूर्वजों को याद करने के साथ ही पैदा हुए नए बच्चों का भी अपने ही ढंग से स्वागत किया जाता है। छांट भरने के बाद नए जन्में बच्चे के जश्न में एक-दूसरे को गुड़ बांटते है।

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