केकड़ी, 28 नवम्बर (आदित्य न्यूज नेटवर्क): श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ केकड़ी के तत्वावधान में बघेरा रोड स्थित नवनिर्मित शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान के नूतन जिनालय में चल रहे नौ दिवसीय महोत्सव के तहत सोमवार को जिनेन्द्र प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की गई। इस दौरान चैन्नई निवासी शांतिलाल गुलेच्छा की जैन प्रव्रज्या दीक्षा भी सम्पन्न हुई। परमात्मा की प्रतिष्ठा के दौरान मंदिर परिसर भगवान शंखेश्वर पार्श्वनाथ के जयकारों से गूंज उठा। उपस्थित जनसमूह ने एक दूसरों को बधाई देकर खुशी का इजहार किया।
महोत्सव के साक्षी बने 36 साधु—साध्वी सुबह शुभ मुहुर्त में खरतरगच्छ आचार्य पीयूषसागर सूरीश्वर महाराज आदि ठाणा 13, गणिवर्य हेमश्रमण विजय महाराज आदि ठाणा 03, साध्वी विजयप्रभा आदि ठाणा 4, साध्वी चन्दनबाला आदि ठाणा 06, साध्वी शुभदर्शना आदि ठाणा 03, साध्वी प्रभंजना आदि ठाणा 04 एवं साध्वी अतुलप्रभा आदि ठाणा 03 की मौजूदगी में चढ़ावे के लाभार्थियों ने प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की। बैंगलुरु के तुषार गुरुजी ने ऊं पुण्याहं-पुण्याहं, ऊं प्रियंताम-प्रियंताम की स्वर लहरियों के बीच प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा विधि सम्पन्न कराई।
प्रबल पुण्योदय से बनता मुक्ति पंथ का गामी प्रतिष्ठा महोत्सव को संबोधित करते हुए मुनि सम्यकरत्न सागर महाराज ने कहा कि पूर्व जन्म में किए गए शुभ कर्मो का उदय होने पर ही व्यक्ति सुकृत का उपयोग कर परमात्मा की प्रतिमा को प्रतिष्ठित कर सकता है। महान पुण्यशाली आत्मा का जीव ही परमात्म भक्ति का लाभ उठाता है। उन्होने कहा कि व्यक्ति जीवन में पैसा तो बहुत कमाता है, लेकिन प्रबल पुण्योदय होने पर ही व्यक्ति स्वयं का, संघ का व शासन का नाम रोशन कर मुक्ति पंथ का गामी बनता है।
मंदिर में लगए कुंकुम के थापे इस दौरान तोरण बंधन, माणक स्तंभारोपण सहित अन्य रस्में पूरी की गई। प्रतिष्ठा के बाद मंदिर परिसर में कुंकुम के थापे लगाए गए। चढ़ावा लेने वाले परिवार ने मंदिर के शिखर पर कलश एवं कायमी ध्वजा चढ़ाई। दोपहर बाद मंदिर परिसर में अष्टोत्तरी शांति स्नात्र पूजन का आयोजन किया गया। इस मौके पर केकड़ी समेत विभिन्न स्थानों से आए संघ के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
महामंगलकारी अंजनशलाका विधान का हुआ आयोजन रविवार को अर्द्ध रात्रि के बाद मंदिर परिसर में महामंगलकारी अंजनशलाका विधान का आयोजन किया गया। संघ अध्यक्ष जितेन्द्र सिंघवी ने बताया कि मंगलवार को सुबह शुभ मुहूर्त में मंदिर के द्वारोद्घाटन के साथ महोत्सव का समापन होगा। द्वारोद्घाटन के बाद सतरह भेदी पूजा एवं दादा गुरुदेव की बड़ी पूजा का आयोजन किया जाएगा।
जयकारों से गूंजा शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान का नूतन जिनालय, प्रतिमाओं की हुई प्राण प्रतिष्ठा, शिखर पर लहराई महामंगलकारी ध्वजा
