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जयघोष के साथ हुई देव प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा

केकड़ी। यहां घण्टाघर स्थित आदिनाथ मंदिर में नवनिर्मित वेदियों में जिन बिम्बों की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पिछले पांच दिनों से चल रहा पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव गुरुवार को सम्पन्न हो गया। सुबह राजपुरा रोड स्थित आदिनाथ वाटिका से शोभायात्रा निकाली गई। जो मंदिर परिसर पहुंच कर सम्पन्न हुई। यहां भगवान आदिनाथ के जयकारों के बीच अभिजीत मुहुर्त में प्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा की गई। आचार्य इन्द्रनन्दी महाराज, मुनि निपूर्णनन्दी महाराज, मुनि क्षमानन्दी महाराज मुनि निर्भयनन्दी महाराज एवं आर्यिका कमलश्री माताजी, आर्यिका मुक्तिश्री माताजी समेत समस्त मुनि आर्यिका संघ के पावन सानिध्य तथा प्रतिष्ठाचार्य पंडित सुधीर मार्तण्ड केसरियाजी एवं पंडित मनोज कुमार शास्त्री बगरोही के निर्देशन में लाभार्थी परिवारों ने प्रतिमाओं को प्रतिष्ठित कराया। परमात्मा की प्रतिष्ठा के दौरान मंदिर परिसर भगवान के जयकारों से गूंज उठा। उपस्थित जनसमूह ने एक दूसरों को बधाई देकर खुशी का इजहार किया। प्रतिष्ठा के बाद चढ़ावा लेने वाले परिवारों ने वेदियों पर कलश आरोहण किया। इस मौके पर नित्याभिषेक, शांतिधारा पूजन, निर्वाण प्राप्ति, मोक्ष कल्याणक पूजन, विश्व शांति महायज्ञ सहित विविध आयोजन हुए।

शुभ कर्मों के उदय पर होता सुकृत का उपयोग

प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान प्रवचन करते हुए आचार्य इन्द्रनन्दी महाराज एवं मुनि निपूर्णनन्दी महाराज ने कहा कि पूर्व जन्म में किए गए शुभ कर्मों का उदय होने पर ही व्यक्ति सुकृत का उपयोग कर परमात्मा की प्रतिमा को प्रतिष्ठित कर सकता है। महान पुण्यशाली आत्मा का जीव ही परमात्म भक्ति का लाभ उठाता है। व्यक्ति जीवन में पैसा तो बहुत कमाता है, लेकिन प्रबल पुण्योदय होने पर ही व्यक्ति स्वयं का, समाज का शासन का नाम रोशन कर मुक्ति पंथ का गामी बनता है। उन्होंने कहा कि जीवन को सफल बनाने के लिए लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। तीर्थंकर परमात्मा एक सत्य प्रकाश है। जो मानव की भाव भूमि को प्रकाशित करता है। तीर्थंकर की वाणी को एक क्षण के लिए भूलना जीवन के शून्य होने के बराबर है।

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