केकड़ी, 11 अप्रैल (आदित्य न्यूज नेटवर्क): आर्यिका गणिनी विमलप्रभा ने कहा कि गुणानुराग पूर्वक की गई भक्ति हमारी आत्म भूमि को उर्वरा व उपजाऊ बनाती है। जिस प्रकार जल के बिना बीज अंकुरित नहीं हो पाता है। उसी प्रकार जिन भक्ति के बिना आत्मिक गुणों का विकास नहीं हो पाता है। वे बोहरा कॉलोनी स्थित नेमीनाथ मंदिर में प्रवचन कर रही थी। उन्होंने कहा कि अभिषेक पूजन करते समय जल को प्रासुक करने के साथ भावों को भी प्रासुक करना चाहिए। सामान्य जल जिन बिम्ब को छूते ही गंधोधक बन जाता है, जिसे हम श्रद्धा पूर्वक मस्तक पर लगाते हैं । जिनेंद्र प्रभु का स्मरण ही चिरकालीन प्रकृति को उखाड़ फेंक देता है। मीडिया प्रभारी पारस जैन ने बताया कि शाम को शास्त्र सभा एवं आनंद यात्रा का कार्यक्रम हुआ। प्रवचन का समय सुबह 8 बजे से रखा गया है।
जिन भक्ति के बिना आत्मिक गुणों का विकास असंभव
