केकड़ी। नानेश पट्टधर, प्रवचन प्रभाकर, संयम सुमेरू जैनाचार्य प्रवर विजयराज महाराज ने कहा कि क्लेश मुक्त जीवन ही पाप मुक्त जीवन है। जो घर क्लेश रहित है वह घर मंदिर बन जाता है। अपने जीवन मे रही हुई खटपट से व्यक्ति न केवल अनन्त संसार बढ़ाता है, वरन समाज में भी कषाय का वातावरण बनाता है। वे गुरुवार को वर्धमान स्थानक में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि खींचातानी नही कर सहयोग की भावना रखनी चाहिए। किसी का बुरा सोचने के बजाए भले की कामना करनी चाहिए। किसी की कमियों नहीं खूबियों की चर्चा करनी चाहिए। इस दौरान उन्होंने मनुष्य जन्म अनमोल रे, मिट्टी में ना रोल रे, अब जो मिला है फिर कब मिलेगा, पता नही… पता नही… पता नही रे… भजन सुनाकर उपस्थित श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। धर्मसभा को संबोधित करते हुए संत नवीन प्रज्ञ ने कहा कि संसार के पदार्थों में कभी सुख नहीं होता। व्यक्ति जिन भौतिक पदार्थों व सुख सुविधाओं का आसक्त बना हुआ है। ये सभी संसार परिभ्रमण का कारण है । व्यक्ति चिन्तन करें और पुरुषार्थ करें तो अपनी आत्मा को परमात्मा सरीखा निर्मल बना सकता हैं। जो वर्तमान को साधता है वही आगे चलकर वर्धमान बनता है। सभा मे कवि बुद्धिप्रकाश दाधीच ने गुरु का गुणगान करते हुए गुरु चरण रज कविता सुनाई। इस मौके पर राजेंद्र धूपिया, गौतमचंद मेड़तवाल, दिनेश लोढ़ा, शीतल लोढ़ा, गौतम सिंह बग्गानी, पवन कर्नावट, सुशील मेड़तवाल, नरेन्द्र कोठारी, रिखब सांखला समेत कई जने मौजूद रहे। जैनाचार्य प्रवर के पहली बार केकड़ी की धरा पर पदार्पण से जैन समुदाय में भारी उत्साह व उमंग बना हुआ है। युवाओं का धर्म के प्रति जबरदस्त रुझान बढ़ा है। युवा वर्ग जैनाचार्य प्रवर के सानिध्य में जैन धर्म के विविध विषयों पर ज्ञान चर्चा में उत्साहपूर्वक हिस्सा ले रहे है।