Site icon Aditya News Network – Kekri News

ढोलक की थाप, मंजीरो की झंकार व अलगोजों की अलाप के बीच केकड़ी का सुविख्यात तेजा मेला सम्पन्न

केकड़ी: नगर पालिका भवन का फाइल फोटो।

केकड़ी, 7 सितंबर (आदित्य न्यूज नेटवर्क): ढोलक की थाप, मंजीरो की झंकार व अलगोजों की अलाप से उभरते मदमस्त कर देने वाले लोक संगीत के बीच लोक देवता वीर तेजाजी की आस्था से जुड़ा केकड़ी का सुविख्यात तेजा मेला मंगलवार को सम्पन्न हो गया। कोरोना के चलते पिछले दो सालों से तेजा मेले के दौरान सार्वजनिक कार्यक्रमों का आयोजन नहीं हुआ। लेकिन इस वर्ष लोगों के मनोरंजनार्थ नगर पालिका द्वारा कवि सम्मेलन, भजन संध्या, गुलाबो सपेरा नृत्य, म्यूजिकल आर्केस्ट्रा नाइट, वीणा कैसेट्स सांस्कृतिक कार्यक्रम व तेजाजी के मारवाड़ी खेल समेत अनेक कार्यक्रम आयोजित किए गए। खेलकूद में कबड्डी व वॉलीबाल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।

केकड़ी: नगर पालिका अध्यक्ष कमलेश साहू, तेजा मेला संयोजक रमाकान्त दाधीच एवं अधिशासी अधिकारी बसन्त कुमार सैनी।

आमजन की रही सहभागिता सभी कार्यक्रमों में आमजन की सहभागिता व भारी भीड़ ने साबित कर दिया कि उदे्श्य सही हो तो सफलता निश्चित प्राप्त होती है। पालिका अध्यक्ष कमलेश साहू, मेला संयोजक रमाकान्त दाधीच व अधिशासी अधिकारी बसन्त कुमार सैनी के नेतृत्व में पालिका पार्षदों व कर्मचारियों ने अथक परिश्रम कर मेले को निर्विवाद सम्पन्न करवाने में अपना योगदान दिया।

श्रद्धालुओं का लगा रहा तांता इस बार मेले में किसानों की भीड़ काफी कम नजर आई, लेकिन पटेल मैदान, तीन बत्ती चौराहा, अजमेरी गेट, बस स्टैण्ड सहित पालिका परिसर के आसपास श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। श्रद्धा के साथ भक्ति का आलम यह था कि वीर तेजाजी के भक्त मेले में दीवानों की तरह उमड़ पड़े। मेले के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक घनश्याम शर्मा, पुलिस उप अधीक्षक खींवसिंह राठौड़, शहर थाना अधिकारी सुधीर कुमार उपाध्याय व सदर थाना अधिकारी राजेश कुमार मीणा के नेतृत्व में तैनात पुलिस बल ने व्यवस्थाओं को अंजाम दिया। पुलिस की सख्ती के कारण पहली बार मेले में चेन स्नैचिंग एवं मोटर साइकिल चोरी की घटनाएं नहीं हुई।

प्रफुल्लित चेहरे इस मेले की पहचान नगर में यह मेला सन् 1870 से लगातार प्रतिवर्ष आयोजित हो रहा है। वीर तेजाजी की स्मृति में 152 वर्षों से चल रही यह परम्परा क्षेत्र में साम्प्रदायिक सौहार्द की उन्नत सांस्कृतिक विरासत की मिसाल पेश करती है। जिसमें वीर तेजाजी की आराधना के स्वरों के साथ आमोद प्रमोद के दृष्टिकोण से सभी धर्मों के लोगों की शिरकत रहती है। ऊंच-नीच व छोटे-बड़े के भेद से परे सभी समुदाय के लोगों के प्रफुल्लित चेहरे इस मेले की पहचान है।

महिलाओं ने उठाया मेले का आनन्द मेले में आमोद प्रमोद के इन्द्रधनुषी रंगो के मध्य पटेल मैदान पर एक छोर से दूसरे छोर तक करीने से सजी अस्थाई दुकानों पर खेल-खिलौने व घरेलु आवश्यकता की छोटी-मोटी चीजों से लेकर गुब्बारों तक ने लोगों को ललचाया। मेले के अंतिम दिन ग्रामीण क्षेत्रों से आई महिलाओं ने मेले का जमकर आनन्द उठाया। मौत का कुआं व झूला-चकरी सबके आकर्षण का केन्द्र रहे।

Exit mobile version