Thursday, May 1, 2025
Homeसमाजदुकानों पर लटके रहे ताले, जैन समाज के आव्हान पर पूरी तरह...

दुकानों पर लटके रहे ताले, जैन समाज के आव्हान पर पूरी तरह बंद रहा केकड़ी कस्बा

केकड़ी, 21 दिसम्बर (आदित्य न्यूज नेटवर्क): सम्मेद शिखर तीर्थ को पर्यटन स्थल के बजाए तीर्थ स्थल घोषित करने की मांग को लेकर जैन समाज के आव्हान पर बुधवार को केकड़ी कस्बा पूरी तरह बंद रहा। इस दौरान सभी व्यापारिक संगठनों ने बंद को समर्थन दिया तथा जैन समाज के तत्वावधान में जारी आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। बंद के दौरान सभी दुकानों पर ताले लटके रहे।

कार्यकर्ताओं ने की समझाइश सुबह कार्यकर्ताओं की टीमों ने बाजारों का दौरा किया तथा लोगों को जैन समाज की भावना से अवगत कराया। कस्बे के दुकानदारों ने जैन समाज की भावना को समझते हुए बंद को अभूतपूर्व समर्थन देकर सफल बनाने में अपना योगदान दिया। दोपहर बाद मौन जुलूस निकाला गया। जो चन्द्रप्रभु जैन चैत्यालय से रवाना होकर घण्टाघर, सदर बाजार, खिड़की गेट, सरसड़ी गेट, पाल टाकीज रोड, बस स्टैण्ड, कचहरी, तीनबत्ती चौराहा, अजमेरी गेट होते हुए घण्टाघर चौराहे पर सम्पन्न हुआ। मौन जुलूस में बड़ी संख्या में महिला पुरुष व बच्चे शामिल हुए। जुलूस के दौरान महिला पुरुषों व बच्चों ने जैन पताकाएं एवं विरोध में लिखी तख्तियां थाम रखी थी।

आमसभा में गरजे वक्ता घण्टाघर चौराहे पर विशाल आमसभा का आयोजन किया गया। आमसभा की शुरुआत में पदम कटारिया ने मंगलचारण प्रस्तुत किया। आमसभा को संबोधित करते हुए जितेन्द्र सिंह सिंघवी, प्रो. केसी जैन, प्रो. ज्ञानचन्द सुराणा, अनिल मित्तल, सुभाष कटारिया, कैलाश चन्द सोनी समेत अन्य वक्ताओं ने कहा कि गत 2 अगस्त 2019 को तत्कालीन झारखंड सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय वन मंत्रालय ने सर्वोच्च जैन तीर्थ श्री सम्मेद शिखर को वन्य जीव अभ्यारण्य घोषित कर पर्यावरण पर्यटन और अन्य गैर धार्मिक गतिविधियों की अधिसूचना जारी की थी। जिसका विरोध करते हुए विश्व जैन संगठन ने 17 मार्च 2022 को केंद्रीय वन मंत्रालय और झारखंड सरकार से इस अधिसूचना को रद्द करने की मांग की। लेकिन सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।

शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बावजूद नहीं हो रही सुनवाई विश्व जैन संगठन ने 26 मार्च, 6 जून और 2 अगस्त 2022 को देशव्यापी शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया। गत 24 मार्च 2022 को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने भी झारखंड सरकार को इस मामले में कार्रवाई के लिए पत्र लिखा। लेकिन उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। वक्ताओं का कहना रहा कि 20 जैन तीर्थंकरों और अनंत संतों की मोक्षस्थली सम्मेद शिखर तीर्थ जैन समाज के लिए पूजनीय व वन्दनीय है। इसके हितों की रक्षा की जाए। अगर तीर्थ नहीं बचेंगे तो समाज व संस्कार कैसे बचेंगे। समाज की मांग है कि सम्मेद शिखर को वन्य जीव अभ्यारण्य, पर्यावरण पर्यटन के लिए घोषित इको सेंसिटिव जोन की सूची से बाहर कर पर्यटन स्थल की बजाय तीर्थ स्थल घोषित किया जाए। आमसभा का संचालन महावीर टोंग्या ने किया।

RELATED ARTICLES