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धर्म से बढ़कर कोई अच्छाई नहीं और अधर्म से बढ़कर कोई बुराई नहीं—मुनि सुश्रुत सागर महाराज

केकड़ी: मुनि सुश्रुत सागर महाराज के पाद प्रक्षालन करते सेठी परिवार के सदस्य।

केकड़ी, 03 अक्टूबर (आदित्य न्यूज नेटवर्क): दिगम्बर जैन मुनि सुश्रुत सागर महाराज ने कहा कि संसार में धर्म से बढ़कर कोई भी अच्छाई नहीं है और अधर्म से बढ़कर कोई भी बुराई नहीं है। धर्म के माध्यम से जीवन में निखार आता है और धर्म से ही सभी कार्य सफल होते है। वे देवगांव गेट स्थित चन्द्रप्रभु चैत्यालय में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि धर्म करने वाले की भावना सच्ची होनी चाहिए। हमारी आत्मा का सम स्वभाव ही धर्म है, आत्मा की उज्जवल भावधारा ही धर्म है। धर्म का आश्रय लेने से प्रत्येक जीव दुखी से सुखी बन जाता है। धर्म नाव के समान है। जो नाव की सवारी करेगा यानि जो धर्म को धारण करेगा वो ही पार लगेगा, संसार के भवसागर से तिरेगा। धर्म ही हमारे जीवन का निर्माण करता है।

हुए विविध आयोजन वर्षायोग समिति के प्रवक्ता नरेश जैन ने बताया कि प्रवचन से पहले आचार्य विद्यासागर महाराज एवं आचार्य सुनील सागर महाराज के चित्र अनावरण, दीप प्रज्जवलन एवं पाद प्रक्षालन का लाभ अशोक कुमार, विकास कुमार, मनीष कुमार, वीरेन्द्र कुमार सेठी परिवार बीजवाड़ वालों ने प्राप्त किया। दैनिक कार्यक्रमों के तहत सुबह जिनेन्द्र प्रतिमाओं का मंत्रोच्चारण के साथ अभिषेक, शांतिधारा, सामूहिक भक्ति पाठ, आचार्य वंदना, अष्टपाहुड ग्रंथ की स्वाध्याय कक्षा, दोपहर में सामायिक, प्रतिक्रमण, चिन्तन, मनन, अपरान्ह बाद स्वाध्याय कक्षा, शाम को प्रतिक्रमण, सामायिक, तत्त्वार्थसूत्र ग्रंथ की कक्षा एवं आचार्य सुनील सागर व मुनि सुश्रुत सागर महाराज की आरती का आयोजन किया गया।

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