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ध्वजा के दर्शन से जन्म जन्मांतर के पापों से मिलती मुक्ति

केकड़ी में चन्द्रप्रभु मंदिर के शिखर पर ध्वजा चढ़ाते श्रावक-श्राविकाएं।

केकड़ी (आदित्य न्यूज नेटवर्क) केकड़ी में सब्जी मण्डी स्थित चन्द्रप्रभु मंदिर में शनिवार को प्रतिष्ठा की वर्षगांठ (बसंत पंचमी) के अवसर पर ध्वजारोहण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। साध्वी शुभदर्शना, साध्वी समकित प्रज्ञा व साध्वी स्वस्ति प्रज्ञा की प्रेरणा एवं सुवासरा (म.प्र.) से आए विधिकारक प्रवीण भाई चौरड़िया के निर्देशन में सत्तर भेदी पूजा पढ़ाई गई। भजन गायकों ने सुमधुर भजनों की रसगंगा बहाई। ध्वजा के लाभार्थी परिवार की ओर से समाज के लोगों ने ऊं पुण्याहं- ऊं पुण्याहं व भगवान चन्द्रप्रभु के जयकारों के साथ मंदिर के शिखर पर ध्वजा चढ़ा कर खुशहाली की कामना की। ध्वजारोहण कार्यक्रम के बाद महाआरती की गई। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रवीण भाई चौरड़िया ने कहा कि वस्तु एवं पदार्थ जितने पुराने होते जाते है, उनका मूल्य उतना ही कम होता जाता है। परन्तु प्रभु की प्रतिमा जितनी प्राचीन होती है, वह उतनी ही चमत्कारी होती जाती है। परमात्मा की सेवा अर्चना से ही मुक्ति पद को प्राप्त किया जा सकता है। जिस प्रकार मनुष्य की शारीरिक संरचना में मुंह का विशिष्ट महत्व होता है। उसी प्रकार जिन मंदिर में शिखर एवं ध्वजा का विशिष्ट महत्व एवं स्थान होता है। ध्वजा मंदिर की प्रभावना को विकसित करती है। इससे आसपास के क्षेत्र में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। शिखर एवं ध्वजा के दर्शन मात्र से ही जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस मौके पर उदयसिंह धम्माणी, गौतम रूपावत, जितेन्द्र सिंघवी, पुखराज ताथेड़, गौतमचन्द बग्गाणी, राजेन्द्र धूपिया, शांतिलाल चौरडिय़ा, भंवरलाल मेड़तवाल, लाभचन्द धूपिया, पारसमल सोनी, निहालचन्द मेड़तवाल, उमरावमल मेड़तवाल, अमित धूपिया, सुरेन्द्र धूपिया, रिखब धम्माणी, छोटूसिंह पालड़ेचा, खेमचन्द ताथेड़, विनीत चौरड़िया, शांतिलाल ताथेड़ समेत जैन समाज के अनेक श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे। बाद में दादाबाड़ी में स्वामी वात्सल्य का आयोजन किया गया।

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