केकड़ी, 08 नवम्बर (आदित्य न्यूज नेटवर्क): दिगम्बर जैन मुनि सुश्रुत सागर महाराज ने कहा कि आतिशबाजी से असंख्यात निरीह पशु, पक्षी व छोटे जीव काल कलवित हो जाते है। पटाखों से ध्वनि व वायु प्रदूषण होता है, अत: इसका त्याग कर अहिंसा को अपनाना चाहिए। वे देवगांव गेट स्थित चन्द्रप्रभु चैत्यालय में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ज्ञान की रोशनी से अज्ञान रूपी अंधकार पर विजय पाने के कारण दीपावली को प्रकाश का पर्व कहा जाता है। लेकिन मनुष्य अज्ञानतावश मनोरंजन के नाम पर करोड़ों रुपए आतिशबाजी पर खर्च कर त्योहारों का स्वरूप बिगाड़ रहे है।
जीओ और जीने दो महाराज ने कहा कि व्यक्ति परम्परा के नाम पर आदर्शों को भुलाने में लगा हुआ है। समय जागने का है। पटाखों से किसी का भला होने वाला नहीं है। लाखों जीव दीपावली पर होने वाली आतिशबाजी की चपेट में आकर प्राण त्याग देते है। जैन दर्शन जीओ और जीने दो पर चलने वाला दर्शन है। हर व्यक्ति को इसे अपनाना होगा। उन्होंने दीपावली के पर्व पर पटाखों का त्याग करने व भगवान महावीर द्वारा प्रतिपादित अंहिसा के सिद्धान्त को अपनाने के लिए प्रेरित किया।
पटाखों से होती जन—धन की हानि, सभी अपनाओ भगवान महावीर की वाणी
