केकड़ी, 04 अगस्त (आदित्य न्यूज नेटवर्क): दिगम्बर जैन मुनि सुश्रुत सागर महाराज ने कहा कि हमें अपने सारे विकार भगवान के चरणों में छोड़ कर प्रभु भक्ति में लीन हो जाना चाहिए। वे देवगांव गेट के समीप स्थित चन्द्रप्रभु जैन चैत्यालय में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रभु भक्ति हमारे पापों को हरती है। भगवान की भक्ति हमेशा आन्तरिक भावों के साथ करनी चाहिए। भक्ति का दिखावा नहीं करना चाहिए। प्रभु की भक्ति में विवेक और उपादेय बुद्धि महत्वपूर्ण है।
सोच समझकर करना चाहिए शब्दों का इस्तेमाल उन्होंने कहा कि शब्द एक दूसरे के मन को जोड़ने और तोड़ने का कार्य करते है। शब्दों का इस्तेमाल सोच समझकर करना चाहिए। जिस प्रकार हमारे द्वारा किए गए कर्म हमारे लिए फलदायी है। उसी प्रकार हमारे द्वारा कहे गए शब्द ही हमारे पास वापस आते है। प्रवचन से पहले चित्र अनावरण, दीप प्रज्ज्वलन एवं मुनिश्री के पाद प्रक्षालन करने का लाभ पदमचंद, जसवन्त कुमार, अशोक कुमार रांटा परिवार ने प्राप्त किया। मंगलाचरण गीत आरती बाकलीवाल नसीराबाद ने प्रस्तुत किया।
पापों को हरती है प्रभु भक्ति, आंतरिक भावों से मिलता है शुभ फल
