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भागवत कथा महोत्सव: सत्संग से जागृत होते है भक्ति के भाव, इन्हीं भावों से मिलती सन्मार्ग की ओर जाने की प्रेरणा

केकड़ी में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के दौरान प्रवचन करते आचार्य जगदीशपुरी।

केकड़ी (आदित्य न्यूज़ नेटवर्क) शक्करगढ़ स्थित श्री अमर ज्ञान निरंजनी आश्रम के महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी जगदीशपुरी ने कहा कि सत्संग से मनुष्य के हृदय में भक्ति के भाव जागृत होते है। ये भाव ही मनुष्य को सन्मार्ग की ओर जाने की प्रेरणा प्रदान करते है। भगवद् गीता के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन के जीवन में परिवर्तन का श्रीगणेश किया था। आज के समय में मानव गीता के उपदेशों को आत्मसात कर जीवन में युगान्तकारी परिवर्तन ला सकता है। वे गीता भवन में सत्संस्कार सेवा समिति के तत्वावधान में भगतानी परिवार की ओर से आयोजित भागवत कथा में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत नारी उत्कर्ष की कथा है।

केकड़ी में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ में उपस्थित श्रद्धालु।

श्रीमद्भागवत में चार स्त्रियों द्रोपदी, कुंती, उत्तरा और सुभद्रा की कथा है। सबका संबंध भगवान श्रीकृष्ण से होता है, लेकिन उनकी प्रेरणा सारे समाज के लिए हितकारी व प्रेरक होती है, अर्थात दुख में भी धर्म का त्याग नहीं करना चाहिए। ईश्वर प्रत्यक्ष दर्शन देकर सहायता करते हैं। भारतीय नारियों ने सदैव ईश्वर का स्मरण कर देश और समाज दोनों का कल्याण किया है। मन से भगवान का चिन्तन करने व वाणी से भगवान के नाम का जप करने से परमात्मा की प्राप्ति होती है। कथा के दौरान संगीतमयी भजनों की प्रस्तुतियों ने उपस्थित श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया। कार्यक्रम के अंत में आयोजक परिवार के सदस्यों एवं श्रद्धालुओं ने भागवतजी की आरती की।

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