केकड़ी, 05 जून (आदित्य न्यूज नेटवर्क): सुप्रसिद्ध हास्य कवि दिवंगत सुरेन्द्र दुबे की पांचवीं पुण्य तिथि पर स्मृति संस्थान के तत्वावधान में रविवार रात्रि को पालिका रंगमंच पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन में देश भर से आए प्रमुख कवियों ने बेहतरीन रचनाओं के शब्द सुमन अर्पित कर कार्यक्रम को यादगार बना दिया। इस दौरान सुप्रसिद्ध कवि सत्यनारायण सत्तन को ‘सुरेन्द्र दुबे स्मृति सम्मान’ से नवाजा गया। उन्हें एक लाख 11 हजार 111 रुपए की राशि का चेक, स्मृति चिन्ह एवं अभिनन्दन पत्र देकर सम्मानित किया गया। कवि सम्मेलन की शुरूआत में सुरेन्द्र दुबे के पुत्र ईशान दुबे ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। प्रारंभ में संस्थान के चन्द्रप्रकाश दुबे, डॉ. अविनाश दुबे, अनिरूद्ध दुबे सहित अन्य ने कवियों एवं अतिथियों का अभिनन्दन किया।
केकड़ी: कवि सम्मेलन में काव्य पाठ करते कविगण।
कवि सम्मेलन में पूर्व चिकित्सा मंत्री व केकड़ी विधायक डॉ. रघु शर्मा मुख्य अतिथि एवं राजस्थान धरोहर प्राधिकरण जयपुर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आईएएस टीकम चंद बोहरा व केकड़ी तहसीलदार राम कल्याण मीणा विशिष्ट अतिथि के रुप में मौजूद रहे। अध्यक्षता पालिका अध्यक्ष कमलेश साहू ने की। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र जोशी ने किया। प्रथम कवि के रूप में जयपुर के गजेंद्र कविया ने राजस्थानी भाषा में अपने हास्य संवादों से खूब आनंदित किया। गीतकार ईशान दुबे ने जानकी ने कहा सौम्य श्रीराम से, मैं भी चलूंगी आपके साथ में… गीत प्रस्तुत कर सभी को भाव विभोर कर दिया। ओजस्वी कवि प्रह्लाद चाण्डक करौली ने चेतना में शील का यदि चित्र नहीं है, सब व्यर्थ है यदि चरित्र नहीं है… सहित वीर रस की अन्य प्रस्तुतियां दी। राजस्थानी हास्य कवि एवं गीतकार राजकुमार बादल शक्करगढ ने राजस्थानी हास्य गीत एक फेरो और लाडी, एक फेरो और…, लेग स्टम्प पे जाती जाती, मिडल स्टम्प मत छोडो जी… सहित अन्य रचनाएं सुनाकर श्रोताओं की खूब वाहवाही लूटी।
अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पैरोडीकार एवं गीतकार डॉ. कैलाश मण्डेला शाहपुरा ने अपने चिर परिचित अंदाज में राजनीतिक विसंगतियों पर जम कर प्रहार किया और श्रोताओं को भरपूर आनंद प्रदान किया। उन्होंने वर्तमान नोटबंदी पर आधारित पैरोडी जिसका रंग गुलाबी मन भावन लगता था सबको प्यारा, यह भ्रष्ट तंत्र ही आज बना सच वालों का हत्यारा, दो हजार का नोट हमारा… सुनाकर खूब हंसाया। वीर रस के प्रसिद्ध कवि अजय अंजाम औरेया (उ.प्र.) ने अपने लाजवाब काव्यपाठ से सभी को रोमांचित कर दिया। उन्होंने चेतक पर रचित वीर राजपूतों की वसुंधरा ये वीर भूमि रंगीलें राजस्थान को माथा टिकाता हूं, चेतक पे सवार महाराणा प्रताप, उन्हें श्रद्धा से शौर्य शब्द समिधा चढ़ाता हूं… कविता सुनकर श्रोताओं को देशभक्ति के रंग में रंग दिया। राजस्थान धरोहर संरक्षण प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, कवि एवं साहित्यकार टीकमचन्द बोहरा ने वर्तमान सामाजिक विसंगतियों पर श्रेष्ठ ढंग से अपनी रचना प्रस्तुति की।
केकड़ी: कवि सम्मेलन में काव्य पाठ करते कविगण।
कौमी एकता के सुप्रसिद्ध शायर कुंवर जावेद बदायूं ने अपनी शायरी से सभी का दिल जीत लिया। उन्होंने एसी होटलों में और सड़क पे भूखे की नंगे की बात करते है, मजाक देखिए इससे ज्यादा क्या होगा, दुरंगे लोग तिरंगे की बात करते हैं… सहित कई शायरियां सुनाई। वरिष्ठ गीतकार सत्येन्द्र मण्डेला शाहपुरा ने राजस्थानी भाषा में पीले रंग की महत्ता पर गीत का पाठ कर कवि सम्मेलन को ऊंचाइयां प्रदान की। मंच संचालिका डॉ. कीर्ति काले, नई दिल्ली ने अपने मनमोहन मुक्तक सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने अयोध्या में अगर ढूंढोगे तो श्रीराम मिलते है, जो वृन्दावन में ढूंढोगे तो घनश्याम मिलते हैं, अगर काशी में ढूंढोगे तो भोलेनाथ मिल जाए, मगर मां-बाप के चरणों में चारों धाम मिलते हैं… समेत कई गीत सुनाकर कार्यक्रम को परवान चढ़ाया।
केकड़ी: कवि सम्मेलन में काव्य पाठ करते कविगण।
वरिष्ठ कवि इंदौर के पं. सत्यनारायण सत्तन ने समापन काव्यपाठ में अपनी शैली में भरपूर आनंद प्रदान करते हुए राष्ट्र और धर्म से जुड़ी अपनी श्रेष्ठ रचनाएं प्रस्तुत की। उन्होंने दान की कमाई पर जीते है अपाहिज लोग, तुम मुझको मान की कमाई पर जीने दो…, कर्म की प्रकाशक गीता मेरे उर में है, साधना अगर विष है तो विष ही पीने दो… समेत कई कविताएं सुनाई। कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि शिव तूफान ब्यावर सहित स्थानीय कवि भी उपस्थित रहे। अंत में संस्थान अध्यक्ष चन्द्रप्रकाश दुबे ने अतिथियों, कवियों, श्रोतागणों एवं कार्यकर्ताओं का आभार जताया।
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सुप्रसिद्ध कवि सत्यनारायण सत्तन को ‘सुरेन्द्र दुबे स्मृति सम्मान’ से किया सम्मानित