केकड़ी, 08 मई (आदित्य न्यूज नेटवर्क): यहां पुरानी केकड़ी में रहने वाले शिवनारायण लखोटिया का रविवार रात्रि को आकस्मिक निधन हो गया। लखोटिया के निधन की सूचना मिलते ही भारत विकास परिषद के संरक्षक राम नरेश विजय ने उनके पुत्र रामलक्ष्मण, ओमप्रकाश, जयप्रकाश एवं चन्द्रप्रकाश लखोटिया से सम्पर्क कर नेत्रदान के लिए प्रेरित किया। उनका कहना रहा कि मरणोपरांत नेत्रदान करने चाहिए, ताकि मरकर भी उनकी आंखे दुनियां देख सके। परिजनों की स्वीकृति के बाद भाविप के अध्यक्ष महेश मंत्री ने जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय अजमेर की आई बैंक सोसायटी में सम्पर्क किया।
केकड़ी: दिवंगत शिवनारायण लखोटिया की फाइल फोटो।
रात को ही पहुंची टीम सूचना मिलने पर आई बैंक सोसायटी के प्रभारी डॉ. भरत कुमार शर्मा अपनी टीम के साथ रात को ही अजमेर से केकड़ी पहुंचे। आवश्यक जांच पड़ताल के बाद चिकित्सकों की टीम ने लखोटिया की आंखों का कार्निया प्राप्त कर लिया। इस मौके पर भाविप के संरक्षक रामनरेश विजय, अध्यक्ष महेश मंत्री, सचिव दिनेश वैष्णव, कोषाध्यक्ष भगवान माहेश्वरी, प्रांतीय कार्यकारिणी प्रतिनिधि सर्वेश विजय, रामगोपाल सैनी, वासु कोरानी, राजेश विजय, राकेश फतेहपुरिया व अशोक काबरा एवं माहेश्वरी समाज के बिरदीचंद नुहाल, रमेश नुहाल, सत्यनारायण बसेर व सुरेश राठी समेत कई जने मौजूद रहे।
भ्रांतियों को दूर करने की आवश्यकता अजमेर आई बैंक सोसायटी के प्रभारी डॉ. भरत कुमार शर्मा ने बताया कि इंसान की मृत्यु के 6 से 8 घंटे के भीतर नेत्रदान का प्रोसेस पूरा करना होता है। अक्सर लोगों को यह भ्रांति रहती है कि नेत्रदान की प्रक्रिया में मृतक की आंखे निकाल लेने से गड्ढे हो जाते है। मगर यह सही नहीं है। नेत्रदान की प्रक्रिया में सिर्फ आंखों का कार्निया निकाला जाता है, इसके साथ ही कृत्रिम आंख लगाई जाती है। जिससे गड्ढा नहीं होता। नेत्रदान में प्राप्त कार्निया को 4 दिन में प्रत्यारोपित किया जाता है।
मरकर भी दुनिया देखेंगी लखोटिया की आंखें, परिजनों ने मरणोपरांत किया नेत्रदान
