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महाशिवरात्रि स्पेशल: झरनेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग पर 12 महीने टपकती है पानी की बूंदें

सावर क्षेत्र के खारी नदी में स्थित झरनेश्वर महादेव मंदिर का मनमोहक नजारा।

केकड़ी. नीरज जैन लोढ़ा‘ (आदित्य न्यूज नेटवर्क) केकड़ी उपखण्ड में सावर तहसील के ग्राम सदारा एवं राजपुरा—भाण्डावास के बीच ​खारी नदी में स्थित प्राचीन झरनेश्वर महादेव मंदिर जन—जन की आस्था का केन्द्र है। शिवालय को बने करीब 70 वर्ष हो चुके है। यहां महाशिवरात्रि पर भव्य मेले का आयोजन होता है। श्रावण मास में यहां दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। मंदिर पुजारी हीरानाथ के अनुसार बरसों पहले यहां कोलकाता के रहने वाले एक जने अभ्रक की खान संचालित करते थे। खनन कार्य के दौरान यहां शिवलिंग प्रकट हुआ। खान मालिक ने चबूतरे का निर्माण करवा कर शिवलिंग समेत शिव परिवार की प्राण—प्रतिष्ठा करा दी। इसके बाद 23 फरवरी 1952 को खान मालिक ने शिवालय का निर्माण करा दिया।

श्री झरनेश्वर महादेव मंदिर में प्रतिष्ठित शिवलिंग सहित शिव परिवार।

कैसे पड़ा नाम मंदिर पुजारी सहित क्षेत्र के लोगों के अनुसार उक्त मंदिर पूर्व में धोला भाटा महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता था। महादेव की प्रतिष्ठा होने के बाद यहां पर पशुओं का मेला भरने लगा। लगातार दो साल तक मेला भरने के दौरान शिवालय से लाल बूंदे टपकने लगी। इस कारण यहां धोलाभाटा का नाम झरनेश्वर महादेव हो गया। बाद में यहां पशुओं का मेला भरना बंद हो गया। कहा जाता है कि श्रावण मास सहित पूरे 12 महीने यहां पर शिवालय से पानी की बून्दें टपकती रहती हैं। इसलिए भी इसे झरनेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। सरकार की ओर से दर्शन के लिए आने-जाने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए सामुदायिक भवनों का निर्माण कराया गया है। चमत्कारिक क्षेत्र होने के कारण यहां 12 महीने श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
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