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श्रावकों में कषाय, लोभ, मोह, माया, ज्यादा तीव्र न हो जाए, इसीलिए संत जगाने आए है…!

केकड़ी में बोहरा कॉलोनी स्थित नेमिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में प्रवचन करते आचार्य अनुभव सागर महाराज।

केकड़ी (आदित्य न्यूज नेटवर्क) दिगम्बर जैन आचार्य शांतिसागर महाराज की परंपरा के षष्ठम पट्टाचार्य, अभिनंदन सागर महाराज के शिष्य एवं प्रखर वक्ता आचार्य अनुभव सागर महाराज ने कहा कि रात के समय हर गली मोहल्ले में रात को एक व्यक्ति आता है और गली में चिल्लाता है कि, जागते रहो, वह कहता है कि रात में सोना है, लेकिन मदहोश होकर मत सोना, नहीं तो चोर घर का कीमती सामान चोरी कर ले जाएगा। ठीक उसी प्रकार संत भी बार-बार समाज को जगाने के लिए आते रहते हैं, कहीं श्रावकों की कषाय, लोभ, मोह, माया, ज्यादा तीव्र न हो जाए। इसलिए हर बार नगरों में जाकर धर्म का उपदेश के माध्यम से धर्म का अर्थ समझाते हैं। वे बोहरा कॉलोनी स्थित नेमीनाथ मंदिर में प्रवचन कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि आज इस जीव की बाहरी परिणीति इतनी खराब हो गई है कि वह नाम से तो जैन है, लेकिन क्रिया जैन धर्म के अनुसार नहीं करते हैं। जिस प्रकार पिता अपने पुत्र को किसी न किसी प्रकार से सुधारने का प्रयास करता है, उसे उन्नति के रास्ते पर चलाने का प्रयत्न करता है। उसी प्रकार गुरु भी हमें धर्म के रास्तों के माध्यम से अर्थ, काम तथा मोक्ष के पुरुषार्थ पर लगाते हैं। गुरु हमारी प्रतिभा को देखकर हमें प्रतिभावान बनाते हैं और स्वयं के समान जगत पूज्य बनने के रास्ते पर चला देते हैं। संत घड़े बनाने वाले कुम्हार के समान अंदर हाथ रखकर हमारी खोट निकाल देते हैं और हमें निखार देते है। हमारा सौभाग्य है कि हमें पंचम काल में भी ऐसे संतो का दर्शन का लाभ प्राप्त हो रहा है। अतः हमें अपनी रुचि का सही प्रयोग करके अपना जीवन सफल बनाने का प्रयास करना चाहिए।

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