केकड़ी। यहां नामदेव छीपा धर्मशाला में चल रही भागवत महापुराण के छठे दिन गुरुवार को कथा का वाचन करते हुए संत हरिशरण महाराज ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का रसपान करवाया। उन्होंने कहा कि ये गोपियां जन्मों-जन्मों से ईश्वर की भक्ति करने वाली भक्ति में रत आत्माएं थी। जिनके साथ भगवान ने स्वयं आकर रास रचाया। महाराज ने कंस वध का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि एक अत्याचारी, अनाचारी, अभिमानी के रूप में तत्कालीन बुराई का अंत भगवान श्रीकृष्ण ने कंस वध के रूप में किया।
आज भी इस संसार में भ्रुण हत्या व गोहत्या के रूप में दो बहुत भारी बुराईयां मौजूद है। हम सबको गौ माता की रक्षा करनी चाहिए एवं भ्रूण हत्या रोक कर पाप का भागी बनने से बचना चाहिए। रुकमणी विवाह की प्रस्तुति एवं झांकी देख कर पंडाल में उपस्थित सभी स्त्री पुरुष एवं भक्तजन भावविभोर होकर आनंदित हुए एवं मंगल गीत गाते हुए नृत्य किया। मुख्य यजमान रघुवीर प्रसाद सैनी एवं चंद्रकांता सैनी ने कथावाचक संत हरिशरण दास महाराज का स्वागत किया।