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श्रीराम का जीवन प्रेरणादायी, रामकथा में समाहित है जीवन जीने का तरीका

मेवदाकला में श्रीराम कथा का वांचन करते कथावाचक राम झूलन दास महाराज।

मेवदाकला, 22 मई (आदित्य न्यूज नेटवर्क): समीपवर्ती मेवदाकलाा स्थित दादू दयाल आश्रम में चल रहा नौ दिवसीय श्रीरामकथा महोत्सव रविवार को सम्पन्न हो गया। अंतिम दिन की कथा का वांचन करते हुए कथावाचक एवं युवा संत रामझूलन दास महाराज ने सीता हरण, लंका दहन, राम-रावण युद्ध, विभीषण का राज्याभिषेक सहित राजा राम के राज तिलक प्रसंग का भावपूर्ण वर्णन किया। महाराज ने कहा कि रामायण हमें जीने का तरीका सिखाती है। दूसरों की सम्पत्ति चाहे कितनी भी मूल्यवान हो उस पर हमारा कोई अधिकार नहीं है। चौदह वर्ष वनवास पूर्ण करने के बाद भगवान श्रीराम जब वापस अयोध्या पहुंचे तो अयोध्यावासी खुशियों से झूम उठे। रामायण हमें आदर, सेवा भाव, त्याग व बलिदान के साथ दूसरों की सम्पत्ति पर हमारा कोई अधिकार नहीं है, ऐसा सिखाती है।

मेवदाकला में श्रीराम कथा का श्रवण करती महिलाएं।

उन्होंने बताया कि जिस प्रकार भगवान श्रीराम ने दीन-दुखियों, वनवासियों आदिवासियों के कष्ट दूर करते हुए, उन्हें संगठित करने का कार्य किया एवं उस संगठन शक्ति के द्वारा ही समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर किया। हर राम भक्त का दायित्व है कि पुनीत कार्य में अपना सहयोग प्रदान करें। श्रीराम के राज्याभिषेक का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि बुराई और असत्य ज्यादा समय तक नहीं चलता। अन्तत: जीत सच्चाई और अच्छाई की ही होती है। अधर्म पर धर्म की जीत हमेशा होती आई है। श्रीराम के राज्याभिषेक के प्रसंग के दौरान भक्तों ने पूरे पंडाल में पुष्प वर्षा की। दादू दयाल आश्रम के रामेश्वर दास महाराज ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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