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संघर्ष की कहानी: दो जून की रोटी का जुगाड़ था मुश्किल, लेकिन हौसला ऐसा कि लिख दी सफलता की नई इबारत

अध्यापक के लिए चयनित ममता आचार्य।

मेवदाकलां. उमाशंकर वैष्णव (आदित्य न्यूज नेटवर्क) कर अपने हौसलों को इतना बुलंद कि मंजिल खुद पूछे कि बता तेरी रजा क्या है। इन पंक्तियों को चरितार्थ किया है बघेरा निवासी ममता आचार्य ने। जिन्होंने तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2021 में सफल होकर आज समाज और परिवार का मान बढ़ाया है। सफल होना कोई बड़ी बात नहीं है, क्षेत्र के कई युवा इस भर्ती परीक्षा में चयनित हुए हैं। लेकिन ममता आचार्य उन सब में इसलिए विशेष हैं कि बचपन में ही दादा, माता व पिता का साया इनके सिर से उठ चुका था। ऐसे मुश्किल दौर में पढ़ना लिखना तो दूर की बात, दो वक्त की रोटी भी नसीब होना मुश्किल था। बचपन में किसे इतनी समझ होती है, लेकिन विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए भी आचार्य ने दो वक्त की रोटी का जुगाड़ किया। अपने छोटे भाई को पाल पोस कर बड़ा किया तथा परिवार को संभालकर खुद को इस लायक बनाया कि महंगाई व बेरोजगारी की मार से खुद को महफूज रख सके। ममता ने वह कर दिखाया जो हर व्यक्ति का सपना होता है। ममता को तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2021 लेवल—1 में सफल होने के लिए विपरीत परिस्थितियों से लड़ना पड़ा।

अध्यापक के लिए चयनित ममता आचार्य।

गांव व परिवार का नाम किया रोशन ममता ने कठिन परिश्रम के साथ खुद पर विश्वास बनाए रखा, आज इसी का परिणाम है कि उन्होंने कभी अपने आप को टूटने नहीं दिया। जी—जान से की गई मेहनत आखिरकार रंग लाई। शिक्षक के रूप में चयनित होकर ममता ने खुद के साथ ही परिवार व गांव का नाम भी रोशन किया है। उन्होंने तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती परीक्षा 2021 में सामान्य श्रेणी में 136 अंको के साथ आल राजस्थान में 1457वीं रेंक प्राप्त की है। ममता का मानना है कि जो इंसान परिस्थिति की परवाह किए बगैर मंजिल के लिए मेहनत करता है। प्रभु भी उनका पूरा साथ देते हैं। बाबा श्याम प्रभु के प्रति समर्पित ममता का मानना है कि आस्था ​और विश्वास के कारण ही प्रभु ने उनको सफल बनाया है।

छोटे बच्चों को ट्यूशन दी, निजी स्कूल में पढ़ाया स्कूली शिक्षा का अंतिम वर्ष बाहरवीं कक्षा 2013 में उतीर्ण होने के बाद अपने जीवन को नई उड़ान देने के सपनों को ध्यान में रखते हुए निरन्तर संघर्षशील रही। बचपन मे मां-बाप के गुजरने के बाद, घर में ना कोई पुश्तैनी जायदाद थी, ना रोजगार, ना कोई कमाने वाला था। 12वीं की पढ़ाई के बाद निजी स्कूलों में पढ़ाया, छोटे बच्चों को ट्यूशन दी तथा किसी तरह खुद की गुजर बसर की। लेकिन ममता ने अपने अन्दर की लौ को बुझने नहीं दिया। उन्होंने 2018 में बीएसटी की परीक्षा 2018 पास की। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपने जज्बे और जुनून को बनाए रखा और अंत में अपनी सफलता को एक नया आयाम दिया। ममता आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहती है। इनका सपना स्कूल व्याख्याता या कॉलेज असिस्टेंट प्रोफेसर बनना है। ममता मानती है कि अपने लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए सही दिशा और कठिन परिश्रम के साथ अनवरत प्रयास किया जाए तो सफलता निश्चित रूप से कदम चूमती है।

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