केकड़ी, 24 सितम्बर (आदित्य न्यूज नेटवर्क): दिगम्बर जैन मुनि सुश्रुत सागर महाराज ने कहा कि जिनके जीवन मे संयम नहीं है, उनका जीवन पशु के समान है। व्यक्ति को जीवन में संयम का नियम लेना चाहिए। जहां छोटा संयम मोक्ष के द्वार खोल देता है। वहीं एक क्षण का असंयम पूरे जीवन को बर्बाद कर सकता है। वे चन्द्रप्रभु जैन चैत्यालय में दशलक्षण महापर्व के दौरान रविवार को उत्त्म संयम धर्म पर प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जीवन के अंतिम पड़ाव में लिया गया संयम अगले भवों को सुधार देता है। संयम का पालन करने से ही जीवन का उत्थान होता है। संयम व्यवस्थित कल्याणकारी जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है।
अर्पित किए श्रीफल अर्घ्य सुबह जिनेन्द्र अभिषेक एवं शांतिधारा के बाद दशलक्षण महामंडल विधान का आयोजन किया गया। श्रावक श्राविकाओं ने उत्तम संयम धर्म की पूजा की व मंडल विधान पर श्रीफल अर्घ्य समर्पित किए। प्रवक्ता नरेश जैन ने बताया कि प्रवचन से पहले चित्र अनावरण, दीप प्रज्ज्वलन एवं पाद प्रक्षालन करने का लाभ आनन्द कुमार निर्मल कुमार चौधरी परिवार ने प्राप्त किया। दोपहर में मुनिश्री ने तत्वार्थ सूत्र का वांचन किया। शाम को आरती, भक्ति संगीत के बाद ऋषभ भैया ने प्रवचन किए। रात्रि मे विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
सुगन्ध से महके जिनालय शहर के सभी दिगम्बर जैन मंदिरों में रविवार को धूप दशमी, सुगन्ध दशमी का पर्व मनाया गया। महिलाओं ने दसवें तीर्थंकर शीतलनाथ भगवान की विशेष पूजा अर्चना की तथा धूप दशमी की कथा का वाचन किया। शाम को चंद्रप्रभु चैत्यालय, शांतिनाथ मंदिर, मुनिसुव्रतनाथ मंदिर, पार्श्वनाथ मंदिर, आदिनाथ मंदिर, ऋषभदेव जिनालय, नेमीनाथ मंदिर एवं अजमेर रोड स्थित शांतिनाथ मंदिर में महिला पुरूषों ने जिन प्रतिमाओं के समीप धूप पात्रों में धूप अर्पित की एवं शांतिमय जीवन के साथ संसारी जीवन के दुःखों से पार पाने और मोक्ष प्राप्ति के लिए आठों कर्मो के नष्ट करने की कामना की। धूप की खुशबू से जिनालय एवं आसपास के क्षेत्र महक उठे।
संयम से होगा बेड़ा पार, संयम से होगा अगले भवों में सुधार…

केकड़ी: मुनि सुश्रुत सागर महाराज के पाद प्रक्षालन करते हुए चौधरी परिवार के सदस्य।