Thursday, June 19, 2025
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समाज में व्याप्त छुआछूत की भावना देश के लिए बड़ी चुनौती, समाज का विकास हो रहा अवरुद्ध

केकड़ी, 23 अगस्त (आदित्य न्यूज नेटवर्क): अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या एक युवराज सिंह ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 23 में अस्पृश्यता को समाप्त किए जाने के लिए हमारा संविधान प्रतिबद्ध है तथा अस्पृश्यता अधिनियम 1955 द्वारा इसको आपराधिक कृत्य माना गया है। लेकिन आजादी के 75 वर्ष बाद भी समाज में अस्पृश्यता देखने को मिल रही है। वे तालुका विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में अस्पृश्यता से मुक्ति और अत्याचारों की रोकथाम विषय पर आयोजित विधिक जागरूकता शिविर में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि यही अस्पृश्यता यदि दलित वर्ग के साथ होती है तो यह न केवल अस्पृश्यता रह जाती है बल्कि यह अत्याचार माना जाता है। उन्होंने कहा कि राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा 15 अगस्त 2022 को 75 वर्ष आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर छुआछूत से आजादी और अत्याचार से बचाव के लिए कैम्पेन लॉन्च किया गया है, जिसके सफल एवं प्रभावी क्रियान्वयन के लिए अधिवक्ताओं को सार्थक पहल करनी चाहिए।

केकड़ीः विधिक जागरूकता शिविर में मौजूद अधिवक्तागण।

हर व्यक्ति को गरिमा के साथ जीने का अधिकार अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या दो कविता राणावत ने कहा कि हर व्यक्ति को गरिमा के साथ जीने का अधिकार है। चाहे वह किसी भी जाति अथवा समुदाय का सदस्य हो। न्यायिक मजिस्ट्रेट मर्यादा शर्मा ने कहा कि हमारे देश के संविधान में हम सबको समान माना गया है। आर्टिकल 14 सहित अन्य प्रावधानों में प्रत्येक व्यक्ति को गरिमा से जीने का अधिकार है। जो भी व्यक्ति अस्पृश्यता फैलाता है, उसके खिलाफ कठोर कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए। पीड़ित पक्ष को अपने अधिकारों के लिए सजग रहना चाहिए। तालुका विधिक सेवा समिति के सचिव दिनेश शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम के दौरान बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष रामअवतार मीणा, अधिवक्ता मनोज आहूजा, अब्दुल सलीम गौरी, नवल किशोर पारीक आदि ने भी विचार व्यक्त किए। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह राठौड़ ने आभार जताया तथा अस्पृश्यता रोकने की शपथ दिलाई। इस मौके पर बड़ी संख्या में अधिवक्तागण मौजूद रहे।

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