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सम्मेद शिखर जैन समाज के लिए पूजनीय व वन्दनीय, इसके हितों की रक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी

केकड़ी: सम्मेद शिखर को तीर्थ स्थल घोषित करने की मांग को लेकर निकाले गए मौन जुलूस में उमड़ा जैन समाज।

केकड़ी, 15 दिसम्बर (आदित्य न्यूज नेटवर्क): सकल जैन समाज के तत्वावधान में गुरुवार को मौन जुलूस निकाला गया तथा उपखण्ड अधिकारी विकास पंचोली को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री आदि के नाम लिखा ज्ञापन सौंप कर सम्मेद शिखर तीर्थ को पर्यटन स्थल के बजाए तीर्थ स्थल घोषित करने की मांग की गई। मौन जुलूस से पहले देवगांव गेट स्थित चन्द्रप्रभु जैन चैत्यालय में आमसभा का आयोजन किया गया। सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि सम्मेद शिखर तीर्थ जैन समाज के लिए पूजनीय व वन्दनीय है। इसके हितों की रक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी है। समाज की मांग है कि सम्मेद शिखर को वन्य जीव अभ्यारण्य, पर्यावरण पर्यटन के लिए घोषित इको सेंसिटिव जोन की सूची से बाहर कर पर्यटन स्थल की बजाय तीर्थ स्थल घोषित किया जाए। श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के अध्यक्ष जितेन्द्र सिंघवी ने ज्ञापन पढ़कर सुनाया।

मौन जुलूस में उमड़ा जैन समाज आम सभा के बाद चन्द्रप्रभु चैत्यालय से विशाल मौन जुलूस निकाला गया। जो घण्टाघर, सदर बाजार, खिड़की गेट, अस्पताल मार्ग, अजमेरी गेट, तीनबत्ती चौराहा, पुलिस थाना होते हुए उपखण्ड कार्यालय पहुंचा। मौन जुलूस में जैन समाज के सैंकड़ों महिला पुरुष शामिल हुए। इस दौरान दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष भंवर बज, पार्श्वनाथ मंदिर के अध्यक्ष टीकमचन्द जैन, आदिनाथ मंदिर के अध्यक्ष महावीर प्रसाद जैन, नेमीनाथ मंदिर के अध्यक्ष अमरचन्द चौरूका, श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के अध्यक्ष जितेन्द्र सिंघवी, स्थानकवासी संघ के अध्यक्ष अरविन्द नाहटा समेत समाज के अनेक पदाधिकारी, कार्यकर्ता व सदस्य मौजूद रहे। आयोजन में दिगम्बर जैन समाज, श्वेताम्बर जैन समाज, अग्रवाल जैन समाज, विभिन्न संघों के महिला मण्डल, नवयुवक मण्डल व अन्य मण्डलों की सहभागिता रही।

क्या है मामला गत 2 अगस्त 2019 को तत्कालीन झारखंड सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय वन मंत्राल ने सर्वोच्च जैन तीर्थ श्री सम्मेद शिखर को वन्य जीव अभ्यारण्य घोषित कर पर्यावरण पर्यटन और अन्य गैर धार्मिक गतिविधियों की अधिसूचना जारी की थी। इसके लिए जैन समाज से आपत्ति या सुझाव भी नहीं लिए गए। इसी के साथ सालों से यहां काम कर रहीं जैन संस्थाओं को भी अधिसूचना की कॉपी उपलब्ध नहीं कराई गई।

विरोध के बावजूद नहीं हुई सुनवाई विश्व जैन संगठन ने 17 मार्च 2022 को केंद्रीय वन मंत्रालय और झारखंड सरकार को इस अधिसूचना को रद्द करने की मांग की। लेकिन सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद विश्व जैन संगठन ने 26 मार्च, 6 जून और 2 अगस्त 2022 को देशव्यापी शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया। गत 24 मार्च 2022 को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने भी झारखंड सरकार को इस मामले में कार्रवाई के लिए पत्र लिखा। लेकिन उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।

रद्द की जाए अधिसूचना झारखंड स्थित 20 जैन तीर्थंकरों और अनंत संतों के मोक्षस्थल श्री सम्मेद शिखर पारसनाथ पर्वतराज गिरिडीह की पवित्रता नष्ट करने वाली केंद्रीय वन मंत्रालय की अधिसूचना को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए। यात्री पंजीकरण, सामान जांच के लिए सीआरपीएफ दल और स्कैनर, सीसीटीवी कैमरे सहित दो चेक पोस्ट व चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था की जाए।

अवैध गतिविधियों पर लगे लगाम ज्ञापन में मांग की गई कि पारसनाथ पर्वतराज और मधुबन को मांस मदिरा बिक्री मुक्त घोषित किया जाए, पर्वतराज की वंदना मार्ग से अतिक्रमण हटाए जाए एवं अभक्ष्य सामग्री की बिक्री पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया जाए। इसके अलावा पर्वतराज से पेड़ों का अवैध कटान, पत्थरों का अवैध खनन और महुआ के लिए जंगलों में आग लगाने पर भी प्रतिबंध लगाया जाए।

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