केकड़ी, 20 अक्टूबर (आदित्य न्यूज नेटवर्क): दिगम्बर जैन मुनि सुश्रुत सागर महाराज ने कहा कि जैसा हम दूसरों के द्वारा अपने लिए मन वचन काय से व्यवहार चाहते है वैसा ही मन वचन काय से व्यवहार हमें दूसरों के साथ करना होगा। जैसा व्यवहार दूसरों के द्वारा हम अपने लिए नहीं चाहते हैं वैसा व्यवहार हमें भी दूसरों के साथ नहीं करना चाहिए। वे देवगांव गेट स्थित चन्द्रप्रभु चैत्यालय में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह एक सामान्य सिद्धांत, नीति और व्यावहारिक धर्म है कि हमें सभी जीवों के साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार करना चाहिए।
सबके साथ प्रिय वचनों को बोलना चाहिए, उपयोग में लाना चाहिए। सभी से मैत्री भावों से व्यवहार निभाना चाहिए और अपने हृदय में प्रमोद सहित सबके प्रति करूणा, दया, सहानुभूति, अनुकम्पा के भाव रखना चाहिए। प्रवक्ता नरेश जैन ने बताया कि समाज के लोगों ने प्रवचन से पहले आचार्य विद्यासागर महाराज एवं आचार्य सुनील सागर महाराज के चित्र का अनावरण, दीप प्रज्ज्वलन एवं मुनि सुश्रुत सागर महाराज के पाद प्रक्षालन किए।
सांसारिक कार्य करते समय विवेक जरूरी—मुनि सुश्रुत सागर महाराज
