Wednesday, March 12, 2025
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सुप्रसिद्ध गाय मेले में भगवान के विमान के नीचे से नहीं निकली गाय, सेवा पूजा में मानी पुजारियों की कमी, किया दण्डित

केकड़ी, 14 नवम्बर (आदित्य न्यूज नेटवर्क): केकड़ी के समीपवर्ती सांपला गांव में दीपोत्सव पर्व पर अन्नकूट महोत्सव के दौरान मंगलवार को गाय मेले का आयोजन किया गया। मेले को देखने के लिए कई जिलों से श्रद्धालु आए। इस मेले में मान्यता है कि भगवान के विमान के नीचे से अगर गौ माता निकलती है तो जमाना अच्छा आता है, अच्छी बरसात और खेती-बाड़ी को फायदा होता है। अगर गौ विमान के नीचे से नहीं निकलती है तो जमाना खराब होता है। अकाल के हालात हो जाता है।
केकड़ी: सांपला में गाय मेले के दौरान भगवान द्वारिकाधीश की आरती करते पुजारी।

600 वर्ष पुरानी पंरपरा का निर्वहन इस बार मंगलवार को मेले के दौरान विमान के नीचे से गो के नहीं निकलने से मेले में शामिल होने आए 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं को मायूस होना पड़ा। सांपला का गाय मेला प्रदेश में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। गांव का 600 वर्ष पुराना द्वारिकाधीश गोपाल महाराज का यह गाय मेला अपने आप में इतिहास समेटे हुए है। किंवदंतियों के अनुसार दामोदरदास महाराज भगवान कृष्ण के भक्त थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर संवत 1474 में द्वारका से गोपाल महाराज गांव के बाहर से निकलने वाले रेवड़ में चित्त कबरे बैल की पैठ पर सवार होकर मूर्तियों के रूप में सांपला आकर दर्शन दिए। तभी से यह मेला भरा जा रहा है।

श्रद्धालु हुए निराश मंदिर पुजारियों ने बताया कि मंदिर के पुजारियों को विधि विधान से हवन कराकर पंचामृत व यज्ञोपवीत धारण कराई जाती है। हवन के बाद मंदिर के सभी पुजारी भगवान द्वारिकाधीश गोपाला महाराज की सवारी के साथ मंदिर से रवाना हुई। जो गांव के मुख्य बाजार से होती हुई रावला चौक पहुंची। जहां राजपूत समाज के भक्तों ने झांकी के दर्शन किए। फिर सवारी कीर्ति स्तंभ पहुंची। जहां प्रदेशभर से आए श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ पड़े। मेला ग्राउंड में सैकड़ों गायों के झुंड के बीच चांदी के ठीकरे को गायों के बीच घुमाया गया। विमान के नीचे से गायों के नहीं निकलने से श्रद्धालुओं में निराश का भाव छा गया।
केकड़ी: सांपला में गाय मेले के दौरान विमान के नीचे से गाय नहीं निकलने पर हाथ बांधने की सजा से दण्डित होते पुजारी।

पूजा अर्चना में मानी लापरवाही गाय मेले में इस बार भगवान द्वारिकाधीश गोपाल महाराज की सेवा में पूजा अर्चना में लापरवाही होना मानकर सभी पुजारियों के हाथ बांधकर द्वारिकाधीश गोपाल महाराज के भक्त दामोदर दास के पद स्थल पर जाकर क्षमा अर्चना की। फिर गांव की ओर से सवा रुपए चांदी का जमा कराने का दंड दिया।

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