केकड़ी, 21 मई (आदित्य न्यूज नेटवर्क): यूं तो हमारा केकड़ी, अब जिला बन गया है। सरकार और प्रशासन जिले को आकार देने में जुट चुके है। जिला स्तर के कार्यालयों के लिए भूमि चयन का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। केकड़ी जिले के विशेषाधिकारी ने भी अपना कार्यभार संभाल लिया है। केकड़ी को जिले की सौगात मिलने के बाद से ही शहर का हर नागरिक खुश है। लेकिन शहर में रोजमर्रा की समस्याएं लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। शहर को आवारा जानवरों से निजात नहीं मिल पा रही है। जिधर देखो उधर आवारा पशुओं का जमावड़ा है। सड़कों व मुख्य बाजारों में जमा रहने वाले लावारिस पशु दुर्घटना का कारण बन रहे है। दिन हो या रात यहां आवारा जानवरों का विचरण जारी रहता है। इन लावारिस पशुओं पर रोकथाम के लिए प्रशासन की ओर से कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया जा रहा। शहर की सड़कों पर आवारा जानवरों का जमकर आतंक मचा हुआ है। आवारा जानवर आए दिन हादसों को न्यौता दे रहे है।
तय हो पशुपालकों की जिम्मेदारी प्रशासन हो या फिर नगर पालिका, कोई इस समस्या की और गंभीरता से ध्यान नहीं दे रहा है। पालिका प्रशासन आवारा पशुओं को सड़कों पर खुले छोड़ने वाले पशु मालिकों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। पशुपालक गाय आदि दुधारू जानवरों को दुहने के बाद सडक़ों पर छोड़ देते है। ये जानवर दिनभर शहरी क्षेत्र में घूमते रहते है व आवागमन में बाधा पैदा करते है। इनके कारण कई बार दुर्घटनाएं भी घटित हो चुकी है। पालिका प्रशासन ने पिछले कई वर्षों से आवारा जानवरों को पकडऩे का कोई अभियान शुरू नहीं किया। न ही उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई अमल में ला पाया है। मजे की बात तो यह कि गौ सेवा के नाम पर गायों को चारा डालने वाले इस समस्या में आग में घी की तरह काम कर रहे हैं। मुख्य मार्गों पर चारा खरीद कर लोग वहीं चारा डाल देते हैं। जिससे बड़ी संख्या में गाय बैल एकत्रित हो जाते है। यदा कदा आपस में लड़ते झगड़ते राहगीरों को दर्द दे रहे हैं। रात के समय तो मवेशी बीच सड़क पर आकर बैठ जाते हैं।
केकड़ीः घण्टाघर के समीप विचरण करती आवारा गायें।
पालिका प्रशासन करे प्रभावी कार्रवाई केकड़ी के अति व्यस्ततम इलाके घण्टाघर, सदर बाजार, अजमेरी गेट, सब्जी मंडी, बस स्टैण्ड, जूनियां गेट सहित अन्य कई जगहों पर हर समय लावारिस पशु नजर आ जाएंगे। पालिका प्रशासन ने बरसों पूर्व यह व्यवस्था बना रखी थी कि आवारा पशुओं को पकड़ कर भैरूंगेट के समीप बने कांजी हाउस में रखा जाता था तथा पशु मालिक से जुर्माना वसूलने के बाद ही पशु को वापस छोड़ा जाता था। यह व्यवस्था लम्बे समय से बंद है। पशुओं की तादाद इतनी ज्यादा बढ़ चुकी है कि रात्रि के समय राजमार्गों पर इनका भारी जमावड़ा नजर आ जाएगा। रात्रि में चलने वाले वाहनों की हैडलाइटों की चकाचौंध में ये सामने से आ रहे वाहन चालकों को नजर नहीं आ पाते व दुर्घटना का कारण बन जाते है। पालिका प्रशासन को एक व्यापक अभियान चलाकर इन आवारा पशुओं के मालिकों को पाबन्द करना चाहिए ताकि ये जानवर किसी भी सूरत में आवागमन में बाधा नहीं बन सके।
सांडों की लड़ाई में किशोर की हुई मौत गत 17 मई को काजीपुरा निवासी अशोक कोली का 14 वर्षीय पुत्र गिरधारी उर्फ समीर बिजासन माता मंदिर से साइकिल पर घर जा रहा था। सांडों की चपेट में आने से वह गंभीर रूप से घायल हो गया। केकड़ी के जिला चिकित्सालय में प्राथमिक उपचार के बाद उसे अजमेर रेफर कर दिया गया। 20 मई 2023 शनिवार को गिरधारी ने जवाहरलाल नेहरू अस्पताल अजमेर में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। इसी के साथ कुछ दिन पहले अजमेरी गेट के समीप एक सांड ने प्रौढ़ को चपेट में ले लिया था। हादसे में प्रौढ़ गंभीर रूप से घायल हो गया था।
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