Thursday, May 1, 2025
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ढोल-नगाड़ों की थाप, शहनाइयों की गूंज और अग्नि की साक्षी में लिए सात फेरे… परिणय सूत्र बंधन में बंधे 32 जोड़े…

केकड़ी, 11 जून (आदित्य न्यूज नेटवर्क): ढोल-नगाड़ों की थाप, शहनाइयों की गूंज और अग्नि की साक्षी में सात फेरों से परिणय सूत्र बंधन में बंध जैन अग्रवाल समाज के 32 जोड़े रविवार को एक दूजे के हो गए। अग्रवाल समाज चौरासी के तत्वावधान में राजपुरा रोड स्थित आदिनाथ वाटिका में आयोजित समाज का सामूहिक विवाह सम्मेलन समाज के कई परिवारों के लिए खुशियों की सौगात लेकर आया।
केकड़ी: जैन अग्रवाल समाज के सामूहिक विवाह सम्मेलन में वरमाला की रस्म के बाद स्टेज पर बैठे नवयुगल।

पुष्पवर्षा से किया स्वागत सुबह नेमिनाथ मंदिर से वर वधु की भव्य बिन्दौरी निकाली गई। जो जूनियां गेट, आदिनाथ मंदिर, घंटाघर, अजमेरी गेट, तीनबत्ती चौराहा, काजीपुरा चौराहा, राजपुरा रोड होते हुए आदिनाथ वाटिका पहुंचकर संपन्न हुई। बिंदोरी में हाथी, ऊंट, घोड़े, ढोल, बैंड आदि आकर्षण का केंद्र रहे। वर वधु को आकर्षक बग्गियों में बैठाया गया। महाराजा अग्रसेन व भगवान महावीर की आकर्षक झांकी सजाई गई। बिन्दौरी मार्ग में स्वागत द्वार सजाए गए। कस्बेवासियों ने पुष्पवर्षा से बिन्दौरी का स्वागत किया।

एक साथ मारा तोरण बिन्दौरी के नगर भ्रमण के बाद आदिनाथ वाटिका में झण्डारोहण हुआ। इसके बाद सामूहिक तोरण की रस्म अदा की गई। सभी दूल्हों ने घोड़ी पर बैठकर तोरण मारा। तोरण के बाद वर-वधु की स्टेज पर ढोल-नगाड़ों के साथ एंट्री हुई। इसके बाद दूल्हा-दुल्हन ने एक-दूसरे के वरमाला डाली। दोपहर में पंडित मनोज शास्त्री, पंडित अंकित जैन व विनोद कुमार जैन ने जैन विधि के साथ फेरों की रस्मे पूरी करवाई। म्यूजिकल फेरों में संगीतकार शिखरचन्द पाटोदी कोटा एवं उनकी टीम ने सुमधुर प्रस्तुतियां दी। पाणिग्रहण संस्कार में युवा परिषद पचेवर की टीम ने सहयोग किया।
केकड़ी: जैन अग्रवाल समाज के सामूहिक विवाह सम्मेलन में सामूहिक फेरे लेते वर वधु।

उमड़ा जनसैलाब समिति की ओर से वर-वधुओं को आवश्यक घरेलु सामान उपहारस्वरूप प्रदान किया गया। सम्मेलन स्थल पर हजारों लोगों की भीड़ से मेले सा नजारा दिखाई दिया। उपस्थित जनसमूह ने नवदम्पतियों को खुशहाल जीवन जीने का आशीर्वाद दिया। आयोजन को सफल बनाने के लिए समाज के विभिन्न महिला व युवा संगठनों ने सक्रिय भूमिका अदा की। इस मौके पर केकड़ी, जयपुर, कोटा, भीलवाड़ा, मालपुरा, जूनियां, बघेरा, सावर, देवली, टोंक, टोडारायसिंह, गुलगांव, पारा, मेहरूकलां, रामथला, सदारा, देवगांव, निवाई, फागी, चाकसू, उणियारा, रेनवाल, पीपलू, देई, नैनवां, शिवाड़ समेत आसपास के गांवों से आए समाजबंधु मौजूद रहे।

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